नई दिल्ली (जनादेश ब्यूरो): प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि हमें महिलाओं के विकास से आगे के बारे में सोचने और महिला नीत विकास के बारे में सोचने की जरूरत है। महिला-नीत विकास के महत्व पर जोर देते हुए प्रधानमंत्री ने रविवार को कहा कि महिलाओं को प्रौद्योगिकी सम्पन्न और जनप्रतिनिधि के तौर पर और प्रभावी बनना चाहिए क्योंकि केवल व्यवस्था में बदलाव से काम नहीं चलेगा। हालांकि प्रधानमंत्री महिला आरक्षण विधेयक पर कुछ नहीं बोले जिसकी कल (शनिवार) राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी और उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी ने पुरजोर वकालत की थी। संसद के केंद्रीय कक्ष में महिला विधायकों के राष्ट्रीय सम्मेलन के समापन सत्र को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि हमें महिला विकास से आगे बढ़कर सोचना चाहिए और महिला-नीत विकास की दिशा में आगे बढ़ना चाहिए। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि केवल व्यवस्था में बदलाव पर्याप्त नहीं होगा। ढांचे में कुछ बदलाव होते रहते हैं और महिला जन प्रतिनिधियों और नेताओं को प्रौद्योगिकी के स्तर पर सम्पन्न बनने और प्रभावी हस्तक्षेप करने की जरूरत है। मोदी ने कहा, ‘आपको स्वयं को प्रभावशाली बनाना होगा। आपको मुद्दों को तथ्यों और आंकड़ों के साथ पेश करना होगा।
केवल व्यवस्था में बदलाव से काम नहीं चलेगा। ढांचे में कुछ बदलाव होते रहते हैं, एक नेतृत्व के तौर पर स्थापित करने के लिए आपको विषयों की जानकारी होनी चाहिए।' प्रधानमंत्री ने कहा, ‘जन प्रतिनिधि के तौर पर स्वतंत्र छवि बनाने का प्रयास करें। आप अपने क्षेत्र में अपनी छवि बनायें। एक बार आपकी छवि, आपके काम करने का तरीका स्थापित होगा तो यह लम्बे समय तक बना रहेगा।’ मोदी ने कहा कि एक बार आपकी छवि बनने पर आप देखेंगी कि लोग आपके विचारों को स्वीकार करने लगे हैं। उन्होंने कहा कि हमें महिलाओं के विकास से आगे के बारे में सोचने और महिला नीत विकास के बारे में सोचने की जरूरत है। प्रधानमंत्री ने लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन को इस सम्मेलन के आयोजन, उनके नेतृत्व एवं विजन के लिए बधाई दी। प्रधानमंत्री ने महिला विधायकों से प्रौद्योगिकी के उपयोग के द्वारा अपने विधानसभा क्षेत्रों से जुड़ने का आग्रह किया और इस बारे में अपने खुद के अनुभव को साझा किया। सम्मेलन का शुभारंभ करते हुए राष्ट्रपति ने शनिवार को संसद और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं को एक तिहाई प्रतिनिधित्व प्रदान करने वाले विधेयक को पारित कराने का आह्वान किया था। प्रणब मुखर्जी ने कहा था कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि यह विधयेक अब तक संसद में पारित नहीं हो सका है और इसे पारित कराना सभी राजनीतिक दलों का दायित्व है क्योंकि इस विषय पर उनकी प्रतिबद्धता इसे अमलीजामा पहनाकर ही पूरी की जा सकती है। राष्ट्रपति ने कहा था कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि दो तिहाई बहुमत से एक सदन में (लोकसभा) पारित होने के बाद भी महिलाओं को संसद और राज्य विधानसभाओं एवं परिषदों में 33 प्रतिशत आरक्षण प्रदान करने वाला विधेयक दूसरे सदन (राज्यसभा) में पारित नहीं हो सका है। उन्होंने कहा, ‘इस बारे में राजनीतिक दलों का दायित्व है। उनकी प्रतिबद्धता कार्यरूप में अमल में आनी चाहिए।’ संसद एवं विधानसभाओं में महिलाओं को एक तिहाई प्रतिनिधित्व प्रदान करने वाले विधेयक को पारित कराने पर जोर देते हुए उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी ने राजनीतिक दलों से इस कानून के अमल में आने तक महिला उम्मीदवारों का नामांकन स्वेच्छा से बढ़ाने की वकालत की थी।