नई दिल्ली: कर्मचारी भविष्य निधि के 60 फीसदी हिस्से पर कर लगाने के बजट प्रस्ताव को सरकार वापस ले सकती है। देश भर में इस प्रस्ताव के कड़े विरोध के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वित्त मंत्री अरुण जेटली से इस बारे में पुनर्विचार करने को कहा है। यह प्रस्ताव एक अप्रैल से लागू होना है। ईपीएफ पर कर लगाने के मामले में बजट आने के बाद आधिकारिक तौर पर वित्त मंत्री जेटली, वित्त राज्यमंत्री जयंत सिन्हा और राजस्व सचिव हसमुख अधिया का बयान आया था। इन बयानों से भ्रम की स्थिति बनी। सूत्रों की मानें तो इस दौरान बजट में ईपीएफ पर कर लगाने के प्रस्ताव का पूरे देश में कड़ा विरोध हुआ जिसके बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से वित्त मंत्री जेटली को प्रस्ताव पर दोबारा विचार करने को कहा गया। हालांकि इस बारे में प्रधानमंत्री कार्यालय ने आधिकारिक पुष्टि नहीं की है। पीएमओ के सूत्रों के मुताबिक इस मुद्दे पर प्रधानमंत्री और वित्तमंत्री के बीच कोई चर्चा नहीं हुई है। सूत्रों की मानें तो हाल ही में ईपीएफ पर कर लगाने के मुद्दे पर पीएमओ में एक उच्चस्तरीय बैठक हुई थी जिसमें बजट में दिए गए प्रस्ताव पर चर्चा हुई। इसके बाद प्रधानमंत्री ने वित्त मंत्री जेटली को इस पर दोबारा से विचार करने को कहा। माना जा रहा है कि संसद में बजट पर चर्चा का जवाब दिए जाने के दौरान जेटली इस प्रस्ताव को वापस लेने की घोषणा कर सकते हैं।
याद रहे कि इस मसले पर पहले श्रम मंत्री बंडारू दत्तात्रेय ने राज्यसभा में कहा था कि सरकार सभी पक्षों से बातचीत कर रही है और इस मुद्दे पर विचार किया जाएगा। सरकार पांच राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव के मद्देनजर भी इस प्रस्ताव को वापस ले सकती है। देशभर में ईपीएफ पर कर लगाने का विरोध हो रहा है, लेकिन सरकार ने अब तक इससे जुड़े प्रस्ताव को वापस लेने के स्पष्ट संकेत नहीं दिए हैं। बजट भाषण में वित्त मंत्री जेटली ने कहा था कि 1 अप्रैल, 2016 के बाद ईपीएफ में होने वाले 40 प्रतिशत योगदान पर कर नहीं लगेगा। यानी कि 60 प्रतिशत ईपीएफ पर निकासी के दौरान टैक्स लगेगा। इसके बाद राजस्व सचिव अधिया ने कहा था कि ईपीएफ के 60 प्रतिशत योगदान के ब्याज पर ही कर लगेगा। इसका सीधा मतलब यह था कि 60 प्रतिशत मूलधन पर कोई ब्याज नहीं वसूला जाएगा और सिर्फ ब्याज पर ही कर लगेगा। वहीं वित्त राज्य मंत्री सिन्हा ने अपने बयान में कहा था कि 60 प्रतिशत ईपीएफ पर कर तभी बचाया जा सकेगा जबकि उस हिस्से का पेंशन योजना में निवेश किया जाएगा। तीनों ही बयानों ने भ्रम की स्थिति पैदा कर दी थी जिसे अब तक आधिकारिक तौर पर स्पष्ट नहीं किया गया है। ईपीएफओ न्यासियों की इस महीने होने वाली बैठक हंगामेदार हो सकती है। बजट में ईपीएफ निकासी पर कर लगाने के प्रस्ताव के विरोध में श्रमिक संगठन इस बैठक में आवाज उठा सकते हैं। आल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस के सचिव एवं ईपीएफओ के न्यासी डीएल सचदेव ने कहा, हमें 17 मार्च को केंद्रीय न्यासी बोर्ड की 212वीं बैठक के लिए नोटिस मिला है। हम वित्तमंत्री द्वारा बजट में प्रस्तावित ईपीएफ निकासी पर कर लगाने का मुद्दा निश्चित तौर पर उठाएंगे। सभी श्रम संगठन इस प्रस्ताव की आलोचना करेंगे। यह मामला एजेंडे में सूचीबद्ध नहीं है, लेकिन हम इसे बैठक में उठाएंगे।