नई दिल्ली(जनादेश ब्यूरो): काले बादल लाख कोशिश कर लें, लाल सूरज को छुपा नहीं सकते। जो संविधान से खिलवाड़ करते हैं, उनकी साजिश को नाकाम करना है। यह बात जमानत पर रिहाई के बाद आज (शुक्रवार) जेएनयू कैंपस में कन्हैया कुमार ने संवाददाता सम्मलेन में कही। कन्हैया कुमार ने कहा कि ' जेएनयू में इस तरह का यह पहला मामला नहीं है। मीडिया के माध्यम से आंदोलन में शरीक होने वालों को धन्यवाद। मुझे सहयोग देने वाले हर आदमी का शुक्रिया।' उन्होंने कहा कि 'आपके टैक्स से हम पढ़ते हैं, जेएनयू वाले कभी देशद्रोही नहीं हो सकते। सीमा पर जवान, किसान और रोहित की शहादत बेकार नहीं जाएगी। लोगों को बांटने की तुम्हारी कोशिश सफल नहीं होगी। बांटने वालों को संवैधानिक तरीके से जवाब दिया जाएगा।' कन्हैया ने कहा कि ' 9 फरवरी को हुई घटना की मैं निंदा करता हूं। देशभक्ति और देशद्रोह में अंतर है। देश की सरकार है न कि किसी पार्टी की। मतभेद है, मन-भेद नहीं, मतभेद रखने का अधिकार है। उन्होंने कहा कि सरकार से बंगलों, गाड़ियों, हवाई यात्राओं पर सब्सिडी के पैसों का हिसाब मांगेंगे। संविधान वीडियो नहीं है जिसमें आप गड़बड़ी करें।'
उन्होंने कहा कि 'देश बनता है देश के लोगों से। जेएनयू इस देश की वास्तविक आवाज है। जेएनयू सामाजिक न्याय की लड़ाई लड़ता है । देशद्रोह कानून का इस्तेमाल छात्रों पर क्यों? हमारे सामने अपनी पहचान और संस्कृति को बचाने की चुनौती है।' कन्हैया ने कहा, 'हमें बात कहने की ही नहीं, सवाल पूछने की भी आजादी है। ये प्रेस कॉन्फ्रेंस जेएनयू के छात्रों, शिक्षकों और कर्मचारियों की है। बतौर जेएनयू छात्र संघ अध्यक्ष, अफजल गुरु मेरे लिए आइकन नहीं है, मेरा आदर्श रोहित वेमुला है। मैं विद्यार्थी हूं और पढ़ाई मेरा पहला काम है।