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नई दिल्ली: कर्ज में डूबी जेट एयरवेज (Jet Airways) कभी भी धड़ाम हो सकती है। एयरलाइन के गुरुवार को महज 14 विमानों ने ही उड़ान भरी, जो 123 विमानों के बेड़े का करीब दस फीसदी ही है। इसके साथ ही ज्यादातर मार्गों पर उसकी उड़ानों का परिचालन ठप हो गया है। विशेषज्ञों का कहना है कि संकट बढ़ने की अहम वजह बैंकों द्वारा 1500 करोड़ रुपये की मदद अभी तक एयरलाइन को नहीं मिल पाना है।

इस संकट से प्रभावित हो रहे हवाई यात्रियों को राहत देने के लिए नागर विमानन महानिदेशालय (डीजीसीए) ने आठ विमान का जेट एयरवेज से पंजीकरण रद्द कर दिया। इन विमानों को अब दूसरी एयरलाइन किराये पर लेकर उड़ानें शुरू कर सकती हैं, जिससे सीटों की कमी से किराया ज्यादा न बढ़े। 18 और विमानों को कुछ दिनों के भीतर जेट से अलग किया जा सकता है। वहीं जेट के पूर्व चेयरमैन नरेश गोयल एयरलाइन में हिस्सेदारी के लिये फिर बोली जमा कर सकते हैं। गोयल ने एयरलाइन में 26% हिस्सेदारी पीएनबी के पास गिरवी रखी है। यह कर्ज के बदले गारंटी है।

 

जेट के 10 और विमानों का परिचालन बंद

वहीं दूसरी ओर जेट एयरवेज का संकट गहराता जा रहा है। एयरलाइन ने बृहस्पतिवार को कहा कि पट्टा यानी लीज किराये का भुगतान नहीं करने से 10 और विमानों का परिचालन बंद हो गया है। एयरलाइन पहले ही विभिन्न मार्गों पर कई उड़ानों को रद्द कर चुकी है।

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