जम्मू: जम्मू-कश्मीर में पुलवामा हमले के बाद सरकार ने और कड़े तेवर अपनाते हुए बुधवार को 18 अलगाववादी नेताओं की सुरक्षा वापस ले ली है। इनमें हुर्रियत (जी) प्रमुख सैयद अली शाह गिलानी और जेकेएलएफ प्रमुख यासीन मलिक हैं। पिछले चार दिनों में सरकार 23 अलगाववादियों की सुरक्षा वापस ले चुकी है। गृह विभाग के सूत्रों के अनुसार जिनकी सुरक्षा वापस ली गई है उनमें गिलानी व यासीन मलिक के अलावा आगा सैयद मौसवी, मौलवी अब्बास अंसारी, सलीम गिलानी, शाहिद उल इस्लाम, जफ्फर अकबर भट, नईम अहमद खान, मुख्तार अहमद वाजा, फारूक अहमद किचलू, मसरूर अब्बास अंसारी, आगा सैयद अब्दुल हुसैन, अब्दुल गनी शाह व मोहम्मद मुसादिक भट हैं।
155 राजनीतिक लोगों की भी सुरक्षा हटाई
सरकार ने आईएएस से इस्तीफा देने वाले शाह फैसल व पीडीपी नेता वाहिद पररे समेत १५५ राजनीतिक लोगों तथा समाजसेवियों की सुरक्षा हटा ली है। सूत्रों के अनुसार इन्हें मिली सुरक्षा की समीक्षा के दौरान यह पाया गया कि उनकी गतिविधियों तथा धमकियों के मद्देनजर दी गई सुरक्षा की अब जरूरत नहीं रह गई है।
इस आधार पर इनकी सुरक्षा वापस ली जाए।
एक हजार पुलिसकर्मी और 100 गाड़ियां हुईं मुक्त
जिन अलगाववादियों तथा राजनीतिक लोगों से सुरक्षा हटाई गई है उनकी सुरक्षा में एक हजार पुलिसकर्मी तथा लगभग १०० गाडिय़ां लगी हुईं थीं। अब इनका इस्तेमाल पुलिस विभाग बेहतर सुरक्षा व्यवस्था के लिए कर सकता है।
मीरवाइज समेत पांच की सुरक्षा पहले हटाई थी
रविवार को सरकार ने हुर्रियत (एम) प्रमुख मीरवाइज उमर फारूक, अब्दुल गनी भट, बिलाल लोन, हाशिम कुरैशी व शब्बीर शाह की सुरक्षा हटाई थी। किसी भी अलगाववादी को किसी भी स्थिति में सुरक्षा मुहैया नहीं कराई जाएगी सरकार की ओर से रविवार को आदेश जारी कर कहा गया था कि अब किसी भी अलगाववादी नेता को किसी भी स्थिति में सुरक्षा मुहैया नहीं कराई जाएगी। यदि उन्हें और कोई भी सुविधा प्रदान की जा रही होगी तो वह भी तत्काल प्रभाव से वापस ले ली गई है।
राज्य सरकार ने मुहैया कराई थी सुरक्षा
राज्य सरकार ने कुछ आतंकवादी समूहों से उनके जीवन को खतरा होने के अंदेशे को देखते हुए केंद्र के साथ सलाह-मशविरा कर अलगाववादियों को सुरक्षा मुहैया कराई थी। खास सुरक्षा दी गई थी। आतंकवादी संगठन हिजबुल मुजाहिदीन के आतंकियों ने 1990 में उमर के पिता मीरवाइज फारूक तथा 2002 में अब्दुल गनी लोन की हत्या कर दी थी।
राजनाथ ने सुरक्षा हटाने के दिए थे संकेत
पुलवामा हमले के बाद गत शुक्रवार को श्रीनगर दौरे पर गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने अलगाववादियों का नाम लिए बगैर कहा था कि पाकिस्तान एवं आईएसआई से फंड प्राप्त करने वाले लोगों को दी गई सुरक्षा की समीक्षा की जाएगी। यहां कुछ ऐसे तत्व हैं जिनके संपर्क आईएसआई एवं आतंकवादी संगठनों से हैं। उनको दी गई सुरक्षा की समीक्षा की जाएगी।
राममाधव का ट्वीट
एसएएस गिलानी तथा यासीन मलिक के विषय में पूछने वाले कई लोग यह नोट करें कि वे ना तो सरकारी सुरक्षा के मजे ले सकते हैं और न अन्य सुविधाओं का। गिलानी नजरबंद हैं।