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नई दिल्ली (जनादेश ब्यूरो): लोकसभा चुनाव 2024 के दूसरे चरण के मतदान के बीच शुक्रवार (26 अप्रैल 2024) को सुप्रीम कोर्ट में वोटिंग से जुड़े एक अहम मुद्दे पर सुनवाई हुई। इसमें सुप्रीम कोर्ट ने किसी भी प्रत्याशी से ज्यादा वोट नोटा को मिलने पर दोबारा चुनाव की मांग पर चुनाव आयोग से जवाब मांगा है। मोटिवेशनल स्पीकर शिव खेड़ा की ओर से दाखिल की गई इस याचिका पर कोर्ट ने सुनवाई की।

'नोटा को सबसे ज्यादा वोट मिलने पर दोबारा चुनाव' की मांग

बता दें कि फिलहाल ये व्यवस्था है कि प्रत्याशियों में सबसे ज्यादा वोट पाने वाले को विजेता माना जाता है। याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि इसी व्यवस्था के चलते सूरत से एक प्रत्याशी को निर्विरोध निर्वाचित किया गया है। हालांकि, यह समझना जरूरी है कि यह विषय विस्तृत सुनवाई का है। इस याचिका का असर सूरत सीट के नतीजे या मौजूदा लोकसभा चुनाव के किसी भी पहलू पर नहीं पड़ेगा।

शिव खेड़ा की ओर से दायर इस याचिका में यह नियम बनाने की भी मांग की गई है कि नोटा से कम वोट पाने वाले उम्मीदवारों को 5 साल के लिए किसी भी तरह के चुनाव लड़ने पर प्रतिबंध लगा दिया जाए।

इसके अलावा नोटा को एक काल्पनिक उम्मीदवार के तौर पर देखा जाए। मामले की सुनवाई सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच कर रही है।

क्या है नोटा

भारत में नोटा का विकल्प 2013 में सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद आया था। नन ऑफ द अबव यानि नोटा एक वोटिंग ऑप्शन है, जिसके तहत मतदाता किसी भी प्रत्याशी के पसंद न आने पर इस विकल्प को चुन सकता है। इसे भारत में शुरू कराने के पीछे पीपुल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज ने काफी लंबी लड़ाई लड़ी थी। यहां यह समझना जरूरी है कि भारत में नोटा राइट टु रिजेक्ट के लिए नहीं है। मौजूदा कानून के मुताबिक, नोटा को ज्यादा वोट मिलते हैं तो इसका कोई कानूनी नतीजा नहीं होता है। ऐसी स्थिति में अगले उम्मीदवार को विजेता घोषित किया जाएगा।

 

 

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