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जम्मू: जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने नेताओं पर निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि आतंकवादियों के खिलाफ सुरक्षाबलों द्वारा चलाए जा रहे अभियान के खिलाफ बोलना नेताओं की राजनैतिक मजबूरी है। जम्मू में आतंकवादियों की हत्या की जांच की मांग से जुड़े एक सवाल के जवाब में सत्यपाल मलिक ने कहा कि, 'जब एक आतंकवादी गोलीबारी शुरू करता है या कोई विस्फोट फेंकता है तो हम उसे फूल या गुलदस्ता नहीं देंगे। उन्होंने कहा, हमारी तरफ से हमने कोई 'ऑपरेशन ऑल आउट' नहीं चलाया है। आतंकियों को यह रास्ता छोड़ देना चाहिए, क्योंकि इससे कुछ हासिल नहीं होगा।

नेशनल कांफ्रेंस के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला के बयान से जुड़े एक सवाल के जवाब में राज्यपाल ने कहा कि वह एक वरिष्ठ राजनेता हैं, इसलिए उन पर टिप्पणी करना सही नहीं है। मुख्यधारा के राजनेताओं की राजनीतिक मजबूरी होती है और हमारे देश में वोट के लिए कोई किसी भी हद तक जा सकता है। सत्यपाल मलिक ने कहा, "वे सभी राजनीतिक लोग हैं और उनकी राजनीतिक मजबूरियां होती हैं। इस देश में लोग वोट के लिए किसी हद तक जा सकते हैं। मैं हर किसी की मजबूरी को समझता हूं और उनका सम्मान करता हूं।"

आपको बता दें कि पिछले दिनों फारूक ने अपने बयान में कहा था कि अगर नेशनल कांफ्रेंस को सत्ता में लाने के लिए वोट करते हैं तो आतंकवादियों के खिलाफ 'ऑपरेशन ऑल आउट' रोक दिया जाएगा।

आपको बता दें कि जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने पिछले दिनों राष्ट्रीय मीडिया द्वारा कश्मीर की ‘‘नकारात्मक छवि'' बनाए जाने पर नाखुशी जाहिर करते हुए कहा था कि चौथे स्तंभ द्वारा घाटी में हासिल की गई उपलब्धियों को रेखांकित नहीं किया जाता। जम्मू में आयोजित एक कार्यक्रम में मलिक ने अपने गृह राज्य उत्तर प्रदेश और घाटी में समानता का जिक्र करते हुए कहा कि कोई नहीं जानता कि उत्तर प्रदेश के मुर्दाघरों में रोजाना पांच से दस लाशें पड़ी रहती हैं लेकिन जब कश्मीर में एक भी मौत होती है तो यह बात राष्ट्रीय सुर्खियां बन जाती है।

उन्होंने कहा, ‘‘ दिल्ली में, कश्मीर को खलनायक (मीडिया के द्वारा) बनाया गया है। कश्मीर में जो कुछ दिखाया जाता है वह खराब ही दिखाया जाता है। अगर कश्मीर में एक मौत होती है तो इसे मीडिया में प्रमुखता से छापा जाता है।''

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