लखनऊ: बसपा सुप्रीमो मायावती ने कहा है कि लॉकडाउन से लाखों की संख्या में बेरोजगार व मजलूम बनकर यूपी लौटने वाले प्रवासियों को उनकी योग्यता के आधार पर काम नहीं मिल रहा है। उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि योग्यता, क्षमता व दक्षता के मुताबिक सरकारी पंजीकरण होने के बाद भी रोजगार उपलब्ध न हो पाने से पढ़े-लिखे डिग्रीधारी मनरेगा में दैनिक मजदूरी पर गड्ढा खोदने मजबूर हो रहे हैं। सरकार घोषणा ही न कर इस पर अमल भी करे।
मायावती ने शनिवार को दिल्ली में पत्रकारों से बातचीत में कहा कि इसका नकारात्मक प्रभाव देश व समाज और शिक्षा व्यवस्था पर भी पड़ रहा है। यूपी सरकार अपने मूल राज्य लौटे प्रवासी श्रमिकों को रोजी-रोटी के लिए कभी अधिकारी व कभी मंत्रियों के समूह गठित कर रही है, तो कभी पंजीकरण करा रही है। जो कुछ हुआ भी हुआ हो, लेकिन उसका सार्थक परिणाम कुछ नहीं निकल पा रहा है। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट द्वारा प्रवासी श्रमिकों की समस्याओं का संज्ञान लेकर इसमें हस्तक्षेप करने के फैसले का स्वागत करते हुए कहा है कि केंद्र व राज्य सरकारों को बिना देरी अब सख्ती से इस पर अमल शुरू कर देना चाहिए।
उन्होंने कहा कि लॉकडाउन से देश भर में खासकर यूपी में छोटे-मझौले उद्योग-धंधे काफी हद तक बंद हो गए हैं। गाजियाबाद, कन्नौज आदि में भी लगातार यही सब देखने में मिल रहा है। बंद उद्योग-धंधों को अब तक खुल जाना चाहिए था, लेकिन ऐसा न होने से यूपी में करोड़ों लोग रोजी-रोटी की मजबूरी में तड़प रहे हैं। सरकार को पहले से स्थापित उद्योग-धंधे व कारोबार को ही चालू कराकर पटरी पर लाना चाहिए। पंजाब सहित कई राज्यों द्वारा प्रवासी श्रमिकों, मजदूरों को वापस बुलाने पर कहा कि अब इनके बिना काम नहीं चल रहा तो वापस बुलाया जा रहा है। अगर पहले सोचा होता तो इन्हें हजारों किमी पैदल न चलना पड़ता। केंद्र व राज्य सरकारें गरीब श्रमिकों, मजदूरों को इनके मूल राज्य में ही रोजगार की व्यवस्था कराएं।
उन्होंने कहा कि लॉकडाउन के साथ आंधी, तूफान, बरसात व टिड्डियों की मार से परेशान छोटे व मझोले किसानों की सरकारों को इनकी मदद करनी चाहिए।