ताज़ा खबरें
कैबिनेट ने नये आयकर बिल को मंजूरी दी, अगले हफ्ते संसद में होगा पेश
जो व्यक्ति इतिहास में रहता है वो वर्तमान का क्या करेगा निर्माण:खड़गे
महाकुंभ क्षेत्र में फ‍िर लगी आग, दमकलकर्मियों ने आग पर काबू पाया

लखनऊ: पार्टी विरोधी गतिविधियों के लिए बहुजन समाज पार्टी (बसपा) से निकाले गए नसीमुद्दीन सिद्दीकी ने शुक्रवार को मायावती पर फिर से पलटवार किया। सिद्दीकी ने कहा कि बसपा सुप्रीमो ने उनके खिलाफ जो कुछ भी कहा है वह गलत है। सिद्दीकी के मुताबिक, 'उन्होंने कहा कि मैंने ब्लैकमेल किया, लेकिन मायावती से बड़ा ब्लैकमेलर मैंने पूरे देश में नहीं देखा।' कभी मायावती के दाहिना हाथ रहे नसीमुद्दीन ने कहा, 'राज्य सभा, एमपी और एमएलए का चुनाव छोड़ो, नगर पालिका का ही चुनाव लड़ कर दिखा दो। अब नसीमुद्दीन सिद्दीकी नहीं है आपके साथ।' गौरतलब है कि मायावती ने पार्टी महासचिव नसीमुद्दीन सिद्दीकी को ‘भ्रष्टाचार’ और ‘पार्टी विरोधी गतिविधियों’में संलिप्तता के आरोप में बुधवार (10 मई) को पार्टी से निकाल दिया। बसपा नेता सतीश चंद्र मिश्रा ने बताया कि नसीमुद्दीन ने चुनाव के दौरान लोगों से धन लिया। पार्टी की जिम्मेदारियों का निर्वहन नहीं किया। पार्टी विरोधी गतिविधियों में लिप्त रहे और इन आरोपों पर पक्ष जानने के लिये बार-बार बुलाने पर भी नहीं आये। उन्होंने कहा कि बसपा में अनुशासनहीनता बर्दाश्त नहीं है, लिहाजा नसीमुद्दीन और उनके बेटे अफजल को पार्टी से निष्कासित कर दिया गया है। मालूम हो कि बसपा की पिछली सरकार में बेहद ताकतवर मंत्री रहे नसीमुद्दीन मुख्यमंत्री मायावती का दायां हाथ माने जाते थे।

उन पर मंत्री पद का दुरपयोग कर भ्रष्टाचार के भी बेहद गम्भीर आरोप लगे थे। नसीमुद्दीन विधान परिषद में विपक्ष के नेता भी रह चुके हैं। गौर हो कि उत्तर प्रदेश चुनावों में करारी हार के बाद एक्शन लेते हुए बहुजन समाज पार्टी ने पूर्व मंत्री नसीमुद्दीन सिद्दीकी को सभी पदों से हटा दिया था। बताया गया था कि सिद्दीकी केवल राष्ट्रीय सचिव पद पर ही बरकरार रहेंगे। यूपी चुनाव के बाद मायावती ने पार्टी में बड़े बदलाव के संकेत भी दिए थे। यूपी विधानसभा चुनाव में भी बीएसपी के लचर प्रदर्शन के बाद मायावती संगठन को नए सिरे से तैयार करने में जुटी हैं और यह उसी की कवायद हो सकती है। पार्टी से निष्कासित किए गए नसीमुद्दीन सिद्दीकी की गिनती बीएसपी के कद्दावर नेताओं में होती थी। वह पार्टी के अल्पसंख्यक चेहरे थे और उन्हें मायावती का करीबी माना जाता था। बसपा की पिछली सरकार में बेहद ताकतवर मंत्री रहे नसीमुद्दीन मुख्यमंत्री मायावती का दायां हाथ माने जाते थे। उन पर मंत्री पद का दुरुपयोग कर भ्रष्टाचार के भी बेहद गम्भीर आरोप लगे थे। नसीमुद्दीन विधान परिषद में विपक्ष के नेता भी रह चुके हैं।

  • देश
  • प्रदेश
  • आलेख