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लखनऊ: नीति आयोग ने बुधवार (10 मई) को उत्तर प्रदेश सरकार को आश्वासन दिया कि राज्य के विकास के रास्ते में संसाधनों की कोई कमी नहीं होने दी जाएगी। आयोग और उत्तर प्रदेश सरकार का एक समूह बनाने पर सहमति बनी है, जो 15 दिन में राज्य के विकास का रोडमैप तैयार कर आयोग के समक्ष प्रस्तुत करेगा। प्रदेश के मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी ने बताया कि आयोग की ओर से उत्तर प्रदेश सरकार को आश्वासन मिला है कि राज्य के विकास में संसाधनों की कमी नहीं आने दी जाएगी। आयोग की उच्चस्तरीय टीम प्रदेश के विकास से जुडे विविध पहलुओं पर राज्य सरकार से बातचीत के लिए राजधानी में थी। उत्तर प्रदेश का चहुंमुखी विकास सुनिश्चित करने के लिए नीति आयोग और राज्य सरकार का कार्यकारी समूह बनाया जाएगा जो 15 दिन में ‘रोड मैप’ तैयार कर आयोग के समक्ष पेश करेगा। मुख्यमंत्री ने नीति आयोग के प्रतिनिधिमंडल के साथ बैठक के बाद यहां संवाददाताओं से कहा, ‘‘नीति आयोग के उपाध्यक्ष डॉ. अरविन्द पनगढ़िया ने प्रस्तावित किया है कि आयोग के सदस्य रमेश चंद्र और मुख्य कार्यकारी अधिकारी अमिताभ कांत सहित तीन सदस्य नीति आयोग की ओर से समूह में होंगे।’’ योगी ने कहा, ‘‘मैंने अपनी ओर से समूह के लिए राज्य के कैबिनेट मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह, मुख्य सचिव एवं प्रमुख सचिव (नियोजन) को रखे जाने के लिए कहा है।’’

उन्होंने बताया कि ये समूह सभी विभागों के लिए कार्रवाई के बिन्दु चिन्हित करेगा और उत्तर प्रदेश के चहुंमुखी विकास के लिए 15 दिन के भीतर रोडमैप आयोग के समक्ष प्रस्तुत करेगा। मुख्यमंत्री ने बताया कि आयोग ने प्रदेश सरकार को आश्वासन दिया है कि उत्तर प्रदेश के विकास में संसाधनों की कमी नहीं आने दी जाएगी। योगी ने बताया कि पहली बार किसी राज्य में जाकर वहां की समस्याओं का प्रशासन के साथ मिलकर समाधान करने के लिहाज से नीति आयोग ने जिस संवेदना का परिचय दिया है, उम्मीद है कि आगे भी आयोग का मार्गदर्शन हासिल होता रहेगा। उन्होंने कहा, ‘‘समर्थ भारत का रास्ता उत्तर प्रदेश से होकर जाता है। इस समय प्रदेश की विकास दर 7.9 प्रतिशत है, जिसे दहाई के अंक में लेकर जाना है। उत्तर प्रदेश प्रकृति एवं परमात्मा की कृपा प्राप्त राज्य है।’’ योगी ने बताया कि उद्योगों को प्रोत्साहित करने के लिए हम नयी औद्योगिक नीति लाएंगे। उद्योग लगाने के इच्छुक लोगों के लिए ‘सिंगल विण्डो सिस्टम’ प्रदान किया जाएगा। लाल फीताशाही समाप्त होगी। ये सारे विचार हमने आयोग के प्रतिनिधिमंडल के समक्ष रखे हैं। उन्होंने स्वास्थ्य, साक्षरता, शिक्षा, रोजगार, गांवों से पलायन रोकने के उपाय, कौशल उन्नयन, स्थानीय स्तर पर प्रशिक्षण, बीपीएल परिवारों को अपेक्षित लाभ, स्वच्छ पेयजल, बुंदेलखंड सहित जलसंकट से गुजर रहे क्षेत्रों में किये जाने वाले प्रयास सहित तमाम बिन्दु गिनाये, जिनके बारे में आयोग से राज्य सरकार ने चर्चा की। योगी ने कहा कि प्रदेश के चहुंमुखी विकास के लिए नीति आयोग का मार्गदर्शन तथा केन्द्र सरकार से सभी स्तरों पर सहयोग अपेक्षित होगा। उन्होंने बताया कि गरीबी रेखा के नीचे रहने वाले (बीपीएल) परिवारों को लेकर वर्तमान में जिस सर्वे के आधार पर कार्य किया जा रहा है, वह काफी पुराना है और वास्तविकता से काफी भिन्न है। हमने आयोग को सुझाव दिया है कि बीपीएल सर्वे हर पांच साल में हो। योगी ने बताया कि बुंदेलखंड पैकेज की अवधि समाप्त हो गयी है. कई कार्य कराये जाने शेष हैं। हमने नीति आयोग से पैकेज का विस्तार करने की मांग की है। हम जल्द ही इस उद्देश्य से एक प्रस्ताव आयोग के विचारार्थ प्रस्तुत करेंगे। उल्लेखनीय है कि उत्तर प्रदेश में विकास की महत्वपूर्ण योजनाओं पर विचार विमर्श के मकसद से राज्य सरकार से चर्चा के लिए नीति आयोग के उपाध्यक्ष डा पानगडिया के नेतृत्व में एक टीम आज राजधानी में थी। आयोग की टीम के साथ बेहतर बजटीय प्रबंधन, क्षमता वृद्धि, योजनाओं एवं परियोजनाओं की संरचना एवं कार्यान्वयन की प्रक्रिया में सुधार, बेहतर विभागीय समन्वय आदि क्षेत्रों में केन्द्र के साथ समेकित प्रयास से इस दिशा में प्रभावी परिणाम देने के लिए संभावनाओं पर चर्चा की गयी। सात बिन्दुओं पर नीति आयोग से चर्चा की गयी। ये उत्तर प्रदेश की तस्वीर बदलने को लेकर प्रस्तुतिकरण, कृषि क्षेत्र में किसानों की आय दोगुनी करने, प्रदेश में निवेश के इच्छुक लोगों को कारोबार करने में आसानी हो, जन स्वास्थ्य बेहतर हो, पोषण, ग्रामीण विकास एवं पेयजल, स्वच्छता तथा शिक्षा हैं। राजधानी लखनऊ आयी नीति आयोग की टीम में पानगढ़िया के अलावा आयोग के सदस्य रमेश चंद्र, मुख्य कार्यकारी अधिकारी अमिताभ कांत सहित भारत सरकार के मंत्रालयों के सात सचिव, दो अपर सचिव, 13 वरिष्ठ अधिकारी शामिल थे।

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