नई दिल्ली: कर्नाटक में 114 फीट ऊंची ईसा मसीह की प्रतिमा के निर्माण के लिए कांग्रेस नेता डी शिवकुमार द्वारा धन देने को लेकर विवाद उत्पन्न हो गया। सत्तारूढ़ भाजपा ने इसे तुष्टिकरण की नीति करार दिया और राज्य सरकार ने अधिकारियों से परियोजना के लिए निर्धारित जमीन पर रिपोर्ट मांगी है। राज्य के राजस्व मंत्री आर अशोका ने कहा कि जिस जमीन के बारे में कहा गया है कि प्रतिमा निर्माण के लिए खरीदी गयी है, वह जमीन शिवकुमार की नहीं है और वह सरकार की गोमला भूमि (चरागाह के तौर पर इस्तेमाल होने वाली सामुदायिक जमीन) है। उन्होंने कहा कि उन्होंने जमीन को लेकर रिपोर्ट मांगी है।
कनकपुरा में हरोबेले के ईसाई बहुल गांव कपालीबेट्टा में 13 फुट ऊंची पीठिका पर 101 फुट ऊंची प्रतिमा लगाने का प्रस्ताव है। कनकपुरा शिवकुमार का विधानसभा क्षेत्र है। कनकपुरा यहां से 80 किलोमीटर दूर है। शिवकुमार के कार्यालय ने बताया कि उन्होंने अपने फंड से कपालीबेट्टा में न्यास के लिए सरकार से 10 एकड़ जमीन खरीदी थी। यह न्यास ही इस प्रतिमा का निर्माण करवा रहा है।
शिवकुमार के कार्यालय का दावा है कि यह दुनिया में ईसामसीह की सबसे बड़ी एकाश्म प्रतिमा होगी। उन्होंने 25 दिसंबर को एक प्रार्थना सभा में इसकी आधारशिला रखी थी और परियोजना के लिए विलेख पत्र सौंपा था।
शिवकुमार ने कहा कि उनके निर्वाचन क्षेत्र में सैंकड़ों मंदिर बनाये गये हैं और वह कोई प्रचार पाने के लिए ऐसा नहीं कर रहे हैं। उन्होंने कहा, 'मैंने दो साल पहले उनसे वादा किया था और कहा था कि वे सरकारी जमीन पर कुछ न करें। क्रिसमस के दिन मैंने उन्हें विलेख पत्र सौंप दिया।'