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नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को गुजरात उच्च न्यायालय की डायमंड जुबली के कार्यक्रम को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए संबोधित किया। इस मौके पर गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रुपाणी भी मौजूद रहे। प्रधानमंत्री ने एक डाक टिकट भी जारी किया। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि जिस सत्य निष्ठा से गुजरात उच्च न्यायालय ने काम किया उससे भारतीय न्याय व्यवस्था और लोकतंत्र दोनों को ही मजबूती मिली है। प्रधानमंत्री ने कहा कि हमारे संविधान में न्याय की जो धारणा रही है वो न्याय हर भारतीय का अधिकार है। उन्होंने कहा कि डिजिटल इंडिया मिशन आज बहुत तेजी से हमारे जस्टिस सिस्टम को आधुनिक बना रहा है।

गुजरात हाई कोर्ट की डायमंड जुबली पर मोदी के संबोधन के कुछ ख़ास अंश

ये सुनकर सभी का गौरव बढ़ता है कि हमारा सुप्रीम कोर्ट खुद भी आज दुनिया में वीडियो कांफ्रेंस के द्वारा सबसे ज्यादा सुनवाई करने वाला सुप्रीम कोर्ट बन गया है।

कोरोना महामारी के समय अगर एक ओर देश ने अपना सामर्थ्य दिखाया, तो दूसरी ओर न्याय पालिका ने भी अपने समर्पण और कर्तव्यनिष्ठा का उदाहरण पेश किया है।

डिजिटल इंडिया मिशन आज बहुत तेजी से हमारे जस्टिस सिस्टम को आधुनिक बना रहा है। आज देश में 18 हजार से ज्यादा कोर्ट कम्प्यूटराइज्ड हो चुके हैं। सुप्रीम कोर्ट से वीडियो कांफ्रेंसिंग और टेली कांफ्रेंसिंग को लीगल सेंटिटी मिलने के बाद ही सभी अदालतों में ई-प्रोसिडिंग में तेजी आई है।

न्याय के जो आदर्श भारतीय संस्कारों का जो हिस्सा रहे हैं, वो न्याय हर भारतीय का अधिकार है। इसलिए ज्यूडिशरी और सरकार दोनों का ही दायित्व है कि दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र में मिलकर वर्ल्ड क्लास जस्टिस सिस्टम खड़ा करे।

हमारा जस्टिस सिस्टम ऐसा होना चाहिए, जो समाज के अंतिम पायदान पर खड़े व्यक्ति के लिए भी सुलभ हो, जहां हर व्यक्ति के लिए न्याय की गारंटी हो और समय से न्याय की गारंटी हो। सरकार भी इस दिशा में अपने कर्तव्यों को पूरा करने के लिए निरंतर प्रयास कर रही है।

न्यायपालिका के प्रति भरोसे ने सामान्य नागरिक के मन में एक आत्मविश्वास जगाया है। सच्चाई के लिए खड़े होने की उसे ताकत दी है। आजादी से अब तक देश की यात्रा में हम न्यायपालिका के योगदान की चर्चा करते हैं, तो बार के योगदान के भी चर्चा करते हैं।

गुजरात हाईकोर्ट की इस अविस्मरणीय यात्रा की स्मृति में आज एक डाक टिकट जारी किया गया है। मैं इस अवसर पर न्याय जगत से जुड़ आप सभी महानुभावों को, गुजरात की जनता को अपनी शुभकानाएं देता हूं।

न्यायपालिका के प्रति भरोसे ने सामान्य नागरिक के मन में एक आत्मविश्वास जगाया है। सच्चाई के लिए खड़े होने की उसे ताकत दी है। आजादी से अब तक देश की यात्रा में हम न्यायपालिका के योगदान की चर्चा करते हैं, तो बार के योगदान के भी चर्चा करते हैं।

भारतीय समाज में रूल ऑफ लॉ, सदियों से सभ्यता और सामाजिक ताने-बाने का आधार रहा है। हमारे प्राचीन ग्रंथों में कहा गया है- न्यायमूलं सुराज्यं स्यात्। यानी, सुराज्य की जड़ ही न्याय में है।

हमारे संविधान में कार्यपालिका, विधायिका और न्यायपालिका को दी गई जिम्मेदारी, हमारे संविधान के लिए प्राणवायु की तरह है। हमारी न्यायपालिका ने संविधान की प्राणवायु की सुरक्षा का दायित्व पूरी दृढ़ता से निभाया है।

गुजरात हाईकोर्ट ने सत्य और न्याय के लिए जिस कर्तव्य और निष्ठा से काम किया है, अपने संवैधानिक कर्तव्यों के लिए जो तत्परता दिखाई है उसने भारतीय न्याय व्यवस्था और भारत के लोकतंत्र दोनों को ही मजबूत किया है।

गुजरात हाईकोर्ट की डायमंड जुबली के अवसर पर सभी को बहुत-बहुत बधाई। पिछले वर्षों में अपनी कानूनी समझ, अपनी विद्वत्ता और बौद्धिकता से गुजरात हाईकोर्ट और बार ने एक विशिष्ट पहचान बनाई है।

 

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