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सूरत: सूरत के इंडस्ट्रियल टाउनशिप के नजदीक मोरा गांव में शनिवार की सुबह प्रवासी मजदूरों की भीड़ इकट्ठी हो गई। पुलिस के मुताबिक, ये सभी अपने गृह राज्य उत्तर प्रदेश, ओडिशा और बिहार जाने की मांग कर रहे है, जिसके बाद पुलिस को उस भीड़ को तितर-बितर करने के लिए आंसू गैंस के गोले छोड़ने पड़े। सूरत में बीते एक महीने में प्रवासी मजदूरों को लेकर इस तरह की ये पांचवीं घटना है। पुलिस अधिकारियों के मुताबिक, यह घटना सुबह करीब 8 बजे के वक्त हुई।

सूरत के संयुक्त पुलिस कमिश्नर डीएन पटेल ने कहा, “मोरा गांव की गलियों में हजारों मजदूर इकट्ठा हो गए। वे सभी अपने गृह राज्य जाने की मांग कर रहे थे। जब पुलिसकर्मियों ने उन्हें रोकने की कोशिश की तो उन लोगों ने पत्थर फेंके और उन पर हमले किए।” पटेल ने कहा, “उन लोगों को हटाने के लिए पुलिस ने आंसू गैस के गोले दागे और हल्का लाठीचार्ज किया। उन्होंने कहा, हमने अब तक 55 लोगों को गिरफ्तार किया और करीब 50 लोगों को हिरासत में लिया है। कई अन्य अभियुक्तों की पहचान ड्रोन्स और सीसीटीवी फूटेज के आधार पर हुई है।” इलाके में पूरी स्थिति पर निगरानी रखने के लिए राज्य के रिजर्व पुलिस बस की एक टीम को तैनात किया गया है।

सेंटर फॉर सोशल स्टडीज के एसोसिएट प्रोफेसर गगन बिहारी साहू ने कहा कि वर्तमान देशव्यापी लॉकडाउन शहरी क्षेत्रों में नौकरी जाने की एक प्रमुख वजह है और इन कामगारों पर असर पड़ रहा है। उत्पादन रुका हुआ है, मशीन बंद पड़ी है और बाजार भी बंद है। सरकार की तरफ से अपील के बावजूद कई नियोक्ताओं ने या तो अपने कर्मचारियों को निकाल दिया है, वेतन कम कर दिया है या फिर अपने दरवाजे बंद कर लिए हैं।

इससे पहले, सोमवार को सूरत जिले में पुलिस के ऊपर हत्या की कोशिश और दंगा के आरोप में 204 लोगों को गिरफ्तार किया गया था। ऐसा आरोप है कि काफी संख्या में जुटे प्रवासी मजदूर अपने पैतृक स्थान पर जाने की मांग कर रहे थे। लेकिन, उन्हें समझाने गई पुलिस पर उन कामगारों ने हमला कर दिया। इससे पहले, 29 अप्रैल को सूरत में पुलिस ने दंगा और कोविड-19 लॉकडाउन उल्लंघन के आरोप में 5 लोगों को हिरासत में लिया था और 300 लोगों पर केस दर्ज किया गया था।

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