सूरत: गुजरात के सूरत शहर के एक औद्योगिक क्षेत्र में बृहस्पतिवार को दोपहर में करीब 100 प्रवासी मजदूर जुट गए और विरोध प्रदर्शन करने लगे। इन मजदूरों का विरोध लॉकउाउन के दौरान उन्हें दिए जा रहे भोजन के मुद्दे पर था। एक स्थानीय पुलिस अधिकारी ने बताया कि प्रवासी मजदूर और उनके परिवार के सदस्य पंडेसरा इलाके में सड़क पर बैठ गए। इन श्रमिकों में से ज्यादातर उत्तर प्रदेश और बिहार से थे। इन कामगारों की शिकायत थी कि उन्हें दिया जा रहा भोजन उनके स्वाद के मुताबिक नहीं है।
इस घटना की जानकारी जैसे ही डीसीपी विधि चौधरी को मिली वो पुलिस दल के साथ लॉकडाउन का पालन करने के लिए कामगारों को समझाने मौके पर पहुंच गए। चौधरी ने बताया कि खाने को लेकर यह एक छोटा मुद्दा था जिसे सुलझा लिया गया है। स्थिति अब यहां नियंत्रण में है। इस बीच कुछ प्रवासियों ने पत्रकारों से बात करते हुए बताया कि एनजीओ की तरफ से दिया जा रहा खाना उनके स्वाद के मुताबिक नहीं है, क्योंकि वे मसालेदार और नॉन-वेज खाना पसंद करते हैं।
इससे पहले बुधवार को पंडोल औद्योगिक क्षेत्र में भी सैकड़ों प्रवासी कामगारों ने इसी मांग को लेकर प्रदर्शन किया था।
सूरत के कुछ इलाकों में लगेगा कर्फ्यू
गुजरात सरकार ने सूरत के पांच घनी आबादी वाले इलाकों में बृहस्पतिवार मध्य रात्रि से एक सप्ताह के लिए कर्फ्यू लगाने का फैसला किया है। मुख्यमंत्री कार्यालय (सीएमओ) में सचिव अश्वनी कुमार ने बताया कि जिन इलाकों में कर्फ्यू लगाया जाएगा वे सलाबतपुरा, महिधारपुरा, लालगेट, अठवालाइन और कमरुनगर पुलिस चौकी के अंतर्गत आते हैं। दरअसल सूरत में 12 घंटे के भीतर कोरोना वायरस संक्रमण के 35 नए मामले सामने आए हैं, जिसके बाद प्रशासन ने यह घोषणा की। बता दें कि सूरत जिले में अबतक कोरोना वायरस संक्रमण के 86 मामले सामने आ चुके हैं।
कुमार ने बताया कर्फ्यू 22 अप्रैल की सुबह छह बजे तक लागू रहेगा। इस दौरान सिर्फ महिलाओं को जरूरी सामान खरीदने के लिए दोपहर एक बजे से लेकर चार बजे तक, यानी की तीन घंटे की छूट दी जाएगी। उन्होंने आगे कहा कि अगर महिलाओं ने सामाजिक दूरी के नियम का पालन नहीं किया और वे बड़ी संख्या में बाहर निकल कर आईं तो यह रियायत वापस ले ली जाएगी।