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नई दिल्ली: गुजरात के गृहमंत्री हरेन पांड्या की हत्या के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सात अभियुक्तों को दोषी ठहराया है। हालांकि उनके सजा को लेकर अभी तक कोई जानकारी नहीं मिल सकी है। इस अपील को सीबीआई और गुजरात सरकार ने दायर किया था। हरेन पांड्या गुजरात में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली तत्कालीन राज्य सरकार में गृहमंत्री थे। अहमदाबाद में सुबह की सैर के दौरान लॉ गार्डन के समीप 26 मार्च 2003 को गोली मारकर उनकी हत्या कर दी गई थी।

सीबीआई के अनुसार, राज्य में 2002 के साम्प्रदायिक दंगों का बदला लेने के लिए उनकी हत्या की गई थी। सीबीआई और राज्य पुलिस ने गुजरात उच्च न्यायालय के 29 अगस्त 2011 के फैसले को गलत बताते हुए अपील दायर की थी। न्यायाधीश अरुण मिश्रा के नेतृत्व वाली पीठ ने एनजीओ ‘सेंटर फॉर पब्लिक इंटरेस्ट लिटिगेशन' (सीपीआईएल) की जनहित याचिका को भी खारिज कर दिया जिसमें इस हत्या की कोर्ट की निगरानी में फिर से जांच कराने की मांग की गई थी। इस अपील पर कोर्ट ने 50 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया। 

सोहराबुद्दीन शेख फर्जी मुठभेड़ मामले के एक गवाह आजम खान की गवाही का हवाला देते हुए, जिसमें भाजपा अध्यक्ष अमित शाह को सभी आरोपों से मुक्त होने से पहले गिरफ्तार किया गया था, सीपीआईएल ने कहा कि मामले की नई सिरे जांच जरूरी है।

याचिका में कहा गया है कि खान ने 3 नवंबर, 2018 को ट्रायल कोर्ट के सामने अपने मुकदमे के दौरान दावा किया था कि "सोहराबुद्दीन ने उन्हें बताया था कि हरेन पंड्या को मारने की सुपारी उन्हें गुजरात कैडर के आईपीएस अधिकारी डीजी वंजारा ने दी थी और सोहराबुद्दीन के सहयोगी तुलसीराम प्रजापति के साथ नईम और शाहिद रामपुरी ने उस सुपारी पर अमल करते हुए हरेन पंड्या की हत्या कर दी थी।

मामले में असगर अली, मोहम्मद रऊफ, मोहम्मद परवेज अब्दुल कयूम शेख, परवेज खान पठान उर्फ अतहर परवेज, मोहम्मद फारूक उर्फहाजी फारूक, शाहनवाज गांधी, कलीम अहमदा उर्फ कलीमुल्लाह, रेहान पुथवाला, मोहम्मद रियाज सरेसवाला, अनीज माचिसवाला, मोहम्मद यूनुस सरेसवाला और मोहम्मद सैफुद्दीन मुकदमे का सामना कर रहे थे।

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