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नई दिल्ली: राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) ने गुजरात में सूरत के सरथाना इलाके में स्थित एक वाणिज्यिक इमारत में लगी आग में 22 छात्रों के मारे जाने के मामले में स्वत: संज्ञान लेते हुए राज्य सरकार को नोटिस जारी कर चार हफ्ते में जवाब तलब किया है। अधिकारियों ने इसकी जानकारी देते हुए बताया कि आयोग ने यह भी कहा है कि पीड़ित परिवारों को मुआजवा देने की केवल घोषणा ऐसे नुकसान का इलाज नहीं है। सूरत के तक्षशिला परिसर में शुक्रवार को लगी आग में मारे गए 22 छात्रों में से तीन 12 वीं कक्षा की बोर्ड परीक्षा में शामिल हुए थे। शनिवार को आये परीक्षा परिणाम में उन तीन छात्रों का नाम उत्तीर्ण छात्रों की सूची में शामिल है। पुलिस ने बताया कि मरने वालों की उम्र 15 से 22 साल के बीच है जिनमें 18 लड़कियां हैं। आयोग ने बयान जारी कर बताया कि इसने मामले में स्वत: संज्ञान लिया है।

बयान में कहा गया है, ‘‘इस घटना को छात्रों के मानवाधिकारों का जबरदस्त उल्लंघन समझते हुए आयोग ने गुजरात सरकार के मुख्य सचिव को नोटिस जारी कर मामले में इमारत के मालिक और अन्य दोषी पाये गए लोगों के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज करने, और संबंधित लोकसेवक के खिलाफ की गयी कार्रवाई सहित विस्तृत रिपोर्ट तलब की है।

 

इसमें यह भी कहा गया है कि आयोग ने मुख्य सचिव से रिपोर्ट में इमारत की कानूनी स्थिति, निर्माण, अग्नि शमन के उपायों, अग्नि सुरक्षा मंजूरी तथा पीड़ित परिवार को दी गयी राहत को भी शामिल करने के लिए कहा है। आयोग के बयान में कहा गया है, ‘‘आयोग यह भी अपेक्षा करता है कि घायल लोगों को राज्य की ओर से सर्वोत्तम और निःशुल्क उपचार उपलब्ध कराया जाए । राज्य सरकार से चार हफ्तों के भीतर जवाब की अपेक्षा की जाती है।’’

आयोग ने कहा है, ‘‘मीडिया में आयी खबरों से ऐसा लगता है कि पीड़ितों के लिए कोई सुरक्षित रास्ता नहीं था जिसका इस्तेमाल आपात घटना के दौरान उसमें से निकलने के लिए किया जा सकता था । पीड़ित परिवारों के लिए केवल मुआवजे की घोषणा करना ऐसे खतरों का निदान नहीं है।’’ बयान में कहा गया है कि ऐसी घटनायें अतीत में भी देश के विभिन्न हिस्सों में हो चुकी है जहां अधिकारियों की लापरवाही और विभागीय मंजूरी के अभाव में लोगों की अनमोल जानें गयी हैं।

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