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नई दिल्ली: गुजरात के पाटीदार नेता हार्दिक पटेल को मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट से झटका लगा। सुप्रीम कोर्ट ने हार्दिक की याचिका पर जल्द सुनवाई से इनकार कर दिया। आपको बता दें कि हार्दिक ने मेहसाणा दंगा मामले में दोषसिद्धि के खिलाफ सोमवार को सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।

तत्काल सुनवाई की क्या जरुरत है

न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष इस मामले को तत्काल सुनवाई के लिए पेश किया गया। पीठ में न्यायमूर्ति एम एम शांतनागोदर और न्यायमूर्ति नवीन सिन्हा भी शामिल हैं। पटेल की ओर से पेश हुए वकील से पीठ ने कहा कि इस याचिका पर तत्काल सुनवाई की जरुरत नहीं है क्योंकि उच्च न्यायालय का आदेश पिछले साल अगस्त में आया था।

पीठ ने इस याचिका पर तत्काल सुनवाई से इनकार करते हुए कहा, ''आदेश अगस्त 2018 में पारित हुआ था। अब तत्काल सुनवाई की क्या जरुरत है? हार्दिक ने इस मामले में गुजरात हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ शीर्ष अदालत में अपील दायर की है।

गुजरात की निचली अदालत ने हार्दिक को 2015 के मेहसाणा दंगे में दोषी करार देते हुए दो साल की सजा सुनाई थी, जिसे हाईकोर्ट ने भी बरकरार रखा था। इसके बाद वह चुनाव लड़ने के लिए अयोग्य साबित हो गये। इसके बाद उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से गुहार लगाई थी।

गौरतलब है कि जन प्रतिनिधित्व कानून और शीर्ष अदालत की व्यवस्था के तहत दो साल या इससे अधिक जेल की सजा काट रहा व्यक्ति दोषसिद्धि पर रोक लगने तक चुनाव नहीं लड़ सकता। पिछले साल जुलाई में मेहसाणा जिले के विसनगर में सत्र अदालत ने पटेल को दो साल जेल की सजा सुनायी थी। निचली अदालत के फैसले के खिलाफ हार्दिक ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी कि उन्हें चुनाव लड़ने के लिए सजा से राहत दी जाये, लेकिन न्यायालय ने उनकी सजा पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था।

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