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अहमदाबाद: गुजरात हाई कोर्ट ने 2002 के दंगे के दौरान एक गांव में 23 लोगों के नरसंहार मामले में विशेष जांच दल(एसआईटी) की एक अदालत द्वारा 14 लोगों को उम्रकैद की सजा सुनाए जाने के फैसले को शुक्रवार को बरकरार रखा है। न्यायधीश अकील कुरैशी और न्यायधीश बी.एन. कारिआय की पीठ ने सात अन्य लोगों की सात साल की सजा को भी बरकरार रखा।

पीठ ने इस मामले में चार अन्य को बरी कर दिया। गोधरा साबरमती एक्सप्रेस ट्रेन अग्निकांड के दो दिन बाद एक मार्च, 2002 को मध्य गुजरात में आनंद के पास ओडे गांव के पिरवाली भागोल क्षेत्र में 23 लोगों को जिंदा जला दिया गया था। ट्रेन अग्निकांड में 57 लोगों की मौत हुई थी। यह मामला दंगों के उन 9 बड़े मामलों में शामिल है, जिसकी जांच सु्प्रीम कोर्ट द्वारा गठित एसआईटी को सौंपी गई थी। 2012 में, एसआईटी ने इस मामले के 47 आरोपियों में से 23 को दोषी पाया था और मृत्युदंड की मांग की थी।

एसआईटी अदालत के आदेश से राहत पाने के उद्देश्य से दोषियों ने गुजरात उच्च न्यायालय का रुख किया था।

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