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चेन्नई: तमिलनाडु की बेहतरीन भरतनाट्यम डांसर ने आईएएस बन सफलता की नई दास्तान लिखी है. पहले उनके डांस और ठुमकों पर लोग झूम पड़ते थे, लेकिन जब एक बार उन्होंने आईएएस बनने की ठानी तो फिर पीछे मुड़कर नहीं देखा और आईएएस बनकर सफलता की नई इबादत लिख दी। कविता रामू के भीतर वैसे तो भरतनाट्यम का पैशन रहा है, मगर वह अपने आईएएस पिता एम रामू से काफी प्रभावित रहीं हैं। इसी वजह से वह उनके पदचिन्हों पर चलना चाहती थीं। कविता का परिवार भी बेटी को आईएएस बनते देखना चाहता था।

एक तरफ का रास्ता भरतनाट्यम में करियर की तरफ जाता था दूसरा रास्ता उन्हें देश की सबसे प्रभावशाली प्रशासनिक सेवा की तरफ ले जाता था। आखिरकार कविता ने दोनो तरफ संतुलन साधने की कोशिश की और इसमें सफलता भी हासिल करने में कामयाब रहीं। बता दें कि 2002 में उनके जीवन की सबसे बड़ी खुशखबरी मिली। खुशखबरी थी देश की सबसे बड़ी प्रतियोगी परीक्षा यानी संघ लोकसेवा आयोग की सिविल सर्विसेज परीक्षा में सफलता की। साल 2002 में वह आईएएस बनने में कामयाब रहीं। वह पढ़ने में काफी तेज थीं।

इससे पहले साल 1999 में उनका चयन तमिलनाडु स्टेट सिविल सर्विसेज में हो चुका था। कविता ने अर्थशास्त्र से ग्रेजुएशन किया तो पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन(लोक-प्रशासन) में मास्टर्स की डिग्री ली है। कविता आईएएस तो बन गईं लेकिन भरतनाट्यम की तरफ से उनका प्रेम कभी कम नहीं हुआ।

आज भी एक आईएएस जब पैरों में घुंघरू बांध भरतनाट्यम कॉस्टयूम में मंच पर थिरकतीं हैं तो लोग चकित रह जाते हैं। लोग बस मंत्रमुग्ध होकर देखते हैं और तालियों की गड़गड़ाहट से उनका अभिवादन करते हैं। भाव, ताल और राग ही नहीं नृत्य भंगिमाओं से वह दर्शकों का दिल जीत लेतीं हैं। तमिलनाडु काडर की 2002 बैच की आईएएस कविता रामू की आज महज प्रशासनिक अफसर नहीं बल्कि देश की मशहूर भरतनाट्यम नृत्यांगना के तौर पर पहचान बन चुकी है। देश-विदेश में अब तक छह सौ से अधिक स्टेज परफार्मेंस कर चुकीं इस महिला आईएएस को कई अवार्ड मिल चुके हैं।

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