लुधियाना: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को कहा कि आजादी के 70 साल बाद भी देश में दलितों पर हो रहे अत्याचार की घटनाओं से उनका सिर शर्म से झुक जाता है। उन्होंने सामाजिक विसंगतियों को दूर करने के लिए अधिक केंद्रित प्रयासों की जरूरत बताई। जातिवाद और छूआछूत के खिलाफ आवाज उठाने वाले गुरु गोविंद सिंह का उदाहरण देते हुए मोदी ने कहा, ‘हम जानते हैं कि हमारी सामाजिक विसंगतियों के कारण आज भी हमारे दलित भाइयों को निशाना बनाने की कुछ घटनाएं सुनने में आती हैं जिनसे मेरा सिर शर्म से झुक जाता है। आजादी के 70 साल बाद हम और इंतजार नहीं कर सकते।’ यहां राष्ट्रीय अनुसूचित जाति-अनुसूचित जनजाति हब के उद्घाटन के मौके पर प्रधानमंत्री ने कहा, ‘हमें अपनी दिशा को और अधिक केंद्रित करना होगा। देश में किसी दलित या आदिवासी युवा की आकांक्षाएं दूसरे नौजवानों से ज्यादा हैं। अगर उन्हें अवसर मिलता है तो वे भारत की तकदीर बदलने में पीछे नहीं रहेंगे।’ उन्होंने कहा कि अनुसूचित जातियों और जनजातियों के लिए हब से दलितों और आदिवासियों को उद्यमी बनने में मदद मिलेगी ताकि वे दूसरों को रोजगार दे सकें। मोदी ने कहा कि स्टार्टअप इंडिया, स्टैंडअप इंडिया योजना के तहत देश में राष्ट्रीयकृत बैंकों की सवा लाख शाखाओं को अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजातियों की कम से कम एक महिला और एक व्यक्ति को एक करोड़ रुपये तक का लोन मंजूर करने का निर्देश दिया गया है।
इससे पौने चार लाख ऐसे उद्यमियों की मदद हो सकती है। एमएसएमई मंत्रालय के तहत राष्ट्रीय एससी-एसटी हब की घोषणा बजट में की गयी थी। 490 करोड़ रुपये की प्रारंभिक राशि के साथ यह हब बाजार तक पहुंच, संपर्क, निगरानी, क्षमता निर्माण आदि को मजबूत करने की दिशा में काम करेगा। मोदी ने कहा, ‘मैंने राज्य सरकारों से अनुरोध किया है कि मंत्रालय द्वारा की गयी खरीद में चार प्रतिशत दलितों के उत्पादन वाली वस्तुएं होनी चाहिए ताकि उनका प्रोत्साहन हो।’ प्रधानमंत्री ने समाज के पिछड़े वगोर्ं को आर्थिक गतिविधियों के केंद्र में लाने के प्रयासों पर जोर दिया।