नई दिल्ली: तीन कृषि विधयेकों को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से रविवार को मंजूरी मिलने के बाद शिरोमणी अकाली दल (एसएडी) प्रमुख सुखबीर सिंह बादल ने प्रतिक्रिया दी है। बादल ने इसे लोकतंत्र और किसानों के लिए काला दिन बताया है। सुखबीर सिंह बादल की एसएडी ने इन्हीं विधेयकों के चलते एनडीए से दूरी बना ली है।
राष्ट्रपति की मंजूरी मिलने के बाद सुखबीर सिंह बादल ने ट्वीट किया, ''अत्यंत दुख की बात है कि राष्ट्रपति ने किसानों और पंजाबियों को सुनने से इनकार किया और कृषि बिलों एवं पंजाबी को आधिकारिक भाषा के रूप में नहीं शामिल किए जाने वाले जम्मू-कश्मीर बिल पर हस्ताक्षर कर दिए। उम्मीद थी कि राष्ट्रपति देश की अंतरात्मा की आवाज के रूप में काम करेंगे और बिलों को वापस लौटा देंगे। लोकतंत्र और किसानों के लिए काला दिन।''
गजट अधिसूचना के अनुसार, राष्ट्रपति ने तीन विधेयकों को मंजूरी दी है, जिनके बाद ये कानून बन गए हैं। ये विधेयक हैं- किसान उपज व्यापार एवं वाणिज्य (संवर्धन एवं सुविधा) विधेयक, 2020, किसान (सशक्तीकरण एवं संरक्षण) मूल्य आश्वासन अनुबंध एवं कृषि सेवाएं विधेयक, 2020 औरआवश्यक वस्तु (संशोधन) विधेयक, 2020।
बता दें कि संसद ने पिछले सप्ताह इन विधेयकों को मंजूरी दी थी और इनका मकसद कृषि क्षेत्र का उदारीकरण करना और किसानों को बेहतर कीमत के लिए अपनी उपज कहीं भी बेचने की इजाजत देना है। विपक्ष ने हालांकि इन विधेयकों की आलोचना की है। उनका आरोप है कि इन विधेयकों को संसदीय परंपराओं की अनदेखी करते हुए असंवैधानिक तारीके से पारित किया गया है।
विपक्ष ने राष्ट्रपति से भी इन विधेयकों को वापस लौटाने का अनुरोध किया था। इन विधेयकों का विरोध एनडीए के सबसे पुराने सहयोगी शिरोमणि अकाली दल ने भी किया है और उसने खुद को राजग से अलग कर लिया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले हफ्ते संसद में तीन में से दो विधेयकों के पारित होने के बाद कहा था कि इससे करोड़ों किसानों को ताकत मिलेगी।