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अमृतसर (पंजाब): लाहौर हाईकोर्ट के आदेश के मात्र 24 घंटे के भीतर जगजीत कौर उर्फ आयशा बीबी लगभग एक वर्ष तक दारूल अमन (शरण स्थल) में रहने के बाद अपने मुस्लिम पति मोहम्मद हसन के घर पहुंच गई। आसपास के लोगों ने उसका स्वागत किया। अमर उजाला को भेजे गए संदेश में आयशा और उसके पति के वकील मोहम्मद सुल्तान शेख ने कहा कि लाहौर हाईकोर्ट के आदेश के बाद दारूल अमन के बाहर खुशी का माहौल था और मिठाइयां बांटी गई थीं।

पिछले साल पाकिस्तान में जगजीत कौर के धर्म परिवर्तन व एक मुस्लिम लड़के के साथ निकाह की खबर से हड़कंप मच गया था। जगजीत कौर के परिवार ने उसके अपहरण व जबरदस्ती धर्म परिवर्तन करने का आरोप लगाया था। उसका भाई पाकिस्तान पंजाब के गवर्नर से भी मिला था, जिन्होंने परिवार को न्याय दिलाने का भरोसा दिया था। लाहौर हाईकोर्ट ने 12 अगस्त को आयशा को उसके पति के घर भेजने का आदेश दिए। आयशा ने अदालत में कहा था कि वह अपने माता-पिता के घर नहीं जाना चाहती। वह अपने पति हसन के साथ रहना चाहती थी।

 

जज शेहराम सरवर ने अपने आदेश में कहा कि आयशा ने अपनी इच्छा के अनुसार इस्लाम धर्म अपनाने के बाद एक मुस्लिम व्यक्ति से निकाह किया है। वहीं युवती के परिवार ने अदालत से गुहार लगाई थी कि वह नाबालिग है। वह अपने फैसले खुद नहीं कर सकती। परिजनों ने जगजीत कौर के स्कूल छोड़ने का एक प्रमाणपत्र भी अदालत में पेश किया था। 

दूसरी तरफ, उसके पति मोहम्मद हसन ने आयशा की एक ऑसिफिकेशन टेस्ट रिपोर्ट अदालत में पेश किया, जिसमें वह वयस्क बताई गई थी। जज ने लड़की के भाई के वकील से यह साबित करने को कहा कि वह नाबालिग है। इस केस में पाकिस्तान के पूर्व अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री खलील ताहिर सिंधु के वकील ने तर्क दिया कि स्कूल छोड़ने के प्रमाण पत्र ने उनकी कम उम्र साबित कर दी है। 

न्यायाधीश ने कहा कि लड़की की उम्र को एक पर्याप्त दस्तावेज के साथ पेश करना चाहिए था। इस मामले पर मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने एक ट्वीट कर जगजीत कौर के परिवार को पंजाब आकर बसने की पेशकश भी की थी। जगजीत कौर के पिता गुरुद्वारा श्री ननकाना साहिब में ग्रंथी हैं।

 

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