पटना: बिहार में महागठबंधन सरकार की ओर से पेश किए गए विश्वास प्रस्ताव का जवाब देते हुए आरजेडी नेता और उप मुख्यमंत्री तेजस्वी प्रसाद यादव ने केंद्र की भाजपा सरकार पर तीखा हमला बोला। बिहार विधानसभा के बुलाए गए विशेष सत्र में उन्होंने कहा कि जिस भी राज्य में भाजपा सरकार में नहीं होती, वहां विपक्षी पार्टियों के खिलाफ सरकारी जांच एजेंसियों का दुरुपयोग करती है। उन्होंने कहा कि किसी भी ऐसे राज्य में जाएं जहां विपक्ष सत्ता में हो या जहां भाजपा डरी हुई हो, वहां अपने तीन जमाई आगे कर देते हैं-सीबीआई, ईडी और आईटी विभाग। उन्होंने कहा कि जो भाजपा के खिलाफ हैं, उन्हें ही इन तीन जांच एजेंसियों का सामना करना पड़ रहा है।
उन्होंने कहा कि पीएम खुद कहते रहे हैं कि जब तक बिहार आगे नहीं बढ़ेगा, देश आगे नहीं बढ़ेगा, लेकिन बिहार को आगे बढ़ने में उन्होंने कोई सहयोग नहीं दिया। उन्होंने कहा कि भाजपा के साथ रिश्ते खत्म करके नीतीश कुमार ने बेहद साहसिक और ऐतिहासिक फैसला लिया है। तेजस्वी ने कहा कि भाजपा का एक ही फार्मूला जो डरेगा उसे डराओ जो नही डरेगा उसको खरीद लो।
गौरतलब है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल यूनाइटेड) (जेडीयू ) ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) से नाता तोड़कर सात पार्टी के महागठबंधन के साथ मिलकर 10 अगस्त को प्रदेश में नई सरकार बनाई थी। नई सरकार के गठन के तुरंत बाद महागठबंधन के 50 विधायकों ने सिन्हा के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश किया था। महागठबंधन के पास बहुमत के आंकड़े (122) से अधिक यानी 164 विधायक हैं जबकि भाजपा के पास 76 विधायक हैं।
महागठबंधन में राष्टीय जनता दल (राजद), कांग्रेस, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी-लेनिनवादी) भाकपा माले, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा), भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) माकपा और पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी की पार्टी हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा के अलावा एक निर्दलीय विधायक तथा मुख्यमंत्री की पार्टी जदयू शामिल है। महागठबंधन के पास 243 सदस्यीय सदन में कुल 164 विधायक है, ऐसे में महागठबंधन के पास सदन अध्यक्ष को पद से हटाने और नया अध्यक्ष चुनने एवं सदन में बहुमत साबित करने के लिए पर्याप्त संख्या बल है।