पटना: जनता दल यूनाइटेड के पूर्व नेता आरसीपी सिंह पर आरोप लगाए गए कि वे नीतीश कुमार की बिना सहमति के केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल हुए थे। हालांकि, इस पर खुद आरसीपी सिंह और भाजपा के वरिष्ठ नेताओं का कहना है कि नीतीश कुमार की सहमति के साथ ही उन्हें मंत्री बनाया गया था। मंगलवार को बिहार भाजपा की कोर कमेटी की बैठक हुई, जिसमें अमित शाह ने कहा कि नीतीश कुमार गलत बोले रहे हैं कि उनकी मर्जी के बिना आरसीपी सिंह मंत्री बने थे।
अमित शाह के मुताबिक, उस वक्त उनकी नीतीश कुमार से दो बार बात हुई थी। वो दो मंत्री सीटें चाहते थे, वो चाहते थे कि एक लोकसभा से और दूसरा राज्यसभा से उनकी पार्टी का मंत्री बने। लेकिन अमित शाह ने इस पर असमर्थता जाहिर की तो नीतीश कुमार ने आरसीपी के नाम पर मुहर लगाई थी। साथ ही अमित शाह ने माना कि उन्होंने दूसरी मंत्री सीट के लिए उन्हें भरोसा दिलाया था और कहा था कि आगे देख लेंगे।
शाह से पहले बिहार के पूर्व उप-मुख्यमंत्री और वरिष्ठ नेता सुशील मोदी ने भी इन आरोपों का खंडन किया था।
राज्यसभा सांसद मोदी ने कहा कि इससे बड़ा झूठ कुछ भी नहीं हो सकता है। अमित शाह ने दो बार नीतीश कुमार से बातचीत की थी। आरसीपी सिंह का नाम नीतीश कुमार ने दिया था, इसके बाद ही उन्हें मंत्री बनाया गया।
साथ ही उन्होंने कहा कि अगर नीतीश की बिना सहमति के आरसीपी सिंह मंत्री बन गए तो उन्हें पार्टी से बाहर क्यों नहीं किया। उन्हें 13 महीनों तक बर्दाश्त क्यों किया गया?
खुद आरसीपी सिंह ने इन आरोपों का खंडन किया है। आरसीपी सिंह ने कहा था कि भाजपा उन्हें मंत्री बनाना चाहती थी, और उनकी नीतीश कुमार से बात हो गई थी। जब मैंने नीतीश कुमार से इस बारे में बातचीत की तो उन्होंने कहा कि दिल्ली जाकर शपथ लिजिए।
बता दें, आरसीपी सिंह को इस बार राज्यसभा चुनाव के लिए जदयू की ओर से टिकट नहीं दिया गया था। जिसके बाद उनका मंत्री पद चला गया। इसके बाद जदयू नेतृत्व ने उनकी संपत्ति से संबंधित भी आरोप लगाए थे। जिसके बाद आरसीपी सिंह ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया था। वहीं, नीतीश कुमार ने एनडीए का साथ छोड़कर महागठबंधन के साथ मिलकर सरकार बना ली।