पटना: बिहार की राजधानी पटना के राजीवनगर थाना क्षेत्र के नेपाली नगर इलाके में रविवार की सुबह अतिक्रमण के खिलाफ बड़ा अभियान शुरू किया गया। इधर, विरोध को देखते हुए करीब चार थानों की पुलिस के साथ दो हजार पुलिस फोर्स को इलाके में तैनात कर दिया गया। ताकि विधि व्यवस्था की स्थिति से निपटा जा सके। प्रशासन फिलहाल करीब 20 एकड़ में बने 70 मकानों को तोड़ने की कार्रवाई कर रहा है। लेकिन यह पूरा विवाद करीब 1024 एकड़ जमीन का है, जिस पर अब सैकड़ों मकान बन चुके हैं। इन मकानों में नेता, मंत्री, जज और आइएएस, आइपीएस के भी ठिकाने शामिल हैं।
1974 से चल रहा है ये विवाद
बता दें कि दीघा- राजीव नगर जमीन विवाद 1974 से ही चल रहा है। आवास बोर्ड ने 1974 में दीघा के 1024 एकड़ में आवासीय परिसर बसाने का निर्णय लिया था। इसके लिए बोर्ड की ओर से जमीन भी अधिग्रहित की गई, परंतु अधिग्रहण में भेदभाव और मुआवजा नहीं देने के मामले को लेकर विवाद सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा। सुप्रीम कोर्ट ने भी आवास बोर्ड को जमीन अधिग्रहण में भेदभाव दूर करने और किसानों को सूद सहित मुआवजा देने का निर्देश दिया, जिस पर आवास बोर्ड ने आज तक अमल नहीं किया।
किसानों ने शुरू की जमीन की खरीद बिक्री
परिणाम स्वरूप किसानों ने निजी हाथों में जमीन की खरीद बिक्री शुरू कर दी। यहीं से दीघा, राजीव नगर का विवाद लगातार बढ़ता गया। वर्तमान में 1024 एकड़ में लगभग 10,000 से ज्यादा मकान बन चुके हैं। राजीव नगर, नेपाली नगर इसी परिसर में अवस्थित है।
कई दूसरी संस्थाओं को दी गई जमीन
आवास बोर्ड ने अधिग्रहित आवासीय भूखंडों को राजीव नगर थाना, पुलिस रेडियो तार एजेंसी, सीआरपीएफ, एसएसबी, सीबीएसई सहित कई एजेंसियों को आवंटित कर दिया। स्थानीय लोग इसे नियम के विरोध में बताते हैं। उनका कहना है कि आवास बोर्ड किसी आवासीय परिसर के लिए जमीन अधिग्रहित करता है और उन्हीं को आवंटित करता है।
दो हजार में अधिग्रहण, अब एक लाख के करीब कीमत
किसानों का कहना है कि दीघा जमीन अधिग्रहण ₹2000 प्रति कट्ठा किया गया था, परंतु वर्तमान में ₹93 लाख रुपए बेचा जा रहा है। यह किसानों के साथ घोर अन्याय है। दीघा के पूर्व मुखिया और किसान नेता चंद्रवंशी सिंह का कहना है कि अगर 93 लाख रुपए के हिसाब से किसानों को मुआवजा दिया जाए तो कोई परेशानी नहीं होगी। लेकिन आवास बोर्ड मुआवजा देना नहीं चाहता और जमीन पर जबरन कब्जा कर रहा है। उनका कहना है कि बोर्ड सुप्रीम कोर्ट का आदेश भी नहीं मान रहा है। कोर्ट ने कहा था अधिग्रहण संबंधी सभी भेदभाव तत्काल दूर किए जाएं। लेकिन आज तक आवास बोर्ड में हुई भेदभाव दूर नहीं किया।
आइएएस अफसर की जमीन बनी विवाद की वजह
मामला आईएएस अधिकारी आरएस पांडे की जमीन को लेकर था। आवास बोर्ड ने 1024 एकड़ में से 4 एकड़ जमीन मुक्त कर दिया था, जो बीच परिसर में पड़ता था। इसी को दीघा के किसानों ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। दीघा के किसानों का कहना था कि जिस तरह एक आईएएस ऑफिसर का भूखंड अधिग्रहण मुक्त रखा गया है, उसी तरह किसानों की जमीन भी अधिग्रहण मुक्त की जाए, परंतु आवास बोर्ड ने किसानों की बात नहीं मानी और धीरे-धीरे विवाद बढ़ता गया।
भूमि बचाओ संघर्ष मोर्चा कर रहा है विरोध
वहीं, दीघा भूमि बचाओ संघर्ष समिति के अध्यक्ष नाथ सिंह का कहना है कि राजीव नगर, नेपाली नगर, केसरी नगर के लोगों ने दीघा के किसानों से जमीन खरीदी है। इसके बाद उन्होंने उस पर आवास बनाया है। प्रशासन द्वारा उसे तोड़ना कतई उचित नहीं है। उन्होंने कहा इस मामले को लेकर कोर्ट जाएंगे। पहले से ही पटना हाईकोर्ट में कई याचिकाएं पड़ी हुई हैं। इस पर सुनवाई होना बाकी है।