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इंदौर: वैश्विक महामारी कोरोना के कारण पूरे देश में लॉकडाउन है। इस वजह से लोगों को परेशानियों का सामना भी करना पड़ रहा है। सबसे ज्यादा दिक्कत दिहाड़ी मजदूरी करने वालों को हो रही है। लॉकडाउन के बीच प्रवासी मजदूर अपने घर पहुंचने के लिए बेताब हैं। सरकार भी श्रमिक स्पेशल ट्रेन चलाकर इन्हें पहुंचाने की गर संभव कोशिश कर रही है। इस बीच मध्य प्रदेश के इंदौर से एक ऐसी तस्वीर आई है जो एक मजदूर की मजबूरी को समझने के लिए काफी है। यह तस्वीर इंदौर के महू से सामने आई है, जहां इंसान बैलगाड़ी में बैल बनकर उसे खींच रहा है।

सोशल मीडिया पर एक वीडियो और तस्वीरें वायरल हो रही हैं जो इंदौर के महू की बताई जा रही है। इस बैलगाड़ी में एक तरफ बैल है तो दूसरी तरफ इंसान बैल बनकर बैलगाड़ी को खींच रहा है, वहीं बैलगाड़ी पर परिवार के दो अन्य सदस्य सवार हैं जो महू से पत्थर मुंडला गांव के लिए निकले हैं। हम्माली का काम करने वाले व्यक्ति का नाम राहुल बताया जा रहा है और वह अपने परिवार के साथ महू में रहकर रोजी-रोटी कमा रहा था, मगर कोरोना महामारी के कारण सारे काम धंधे बंद हो गए, स्थितियों में उसके लिए वक्त काटना मुश्किल हो गया पूंजी भी खत्म होती गई।

बढ़ते आर्थिक संकट के बीच उसने अपने एक बैल को ही बेच दिया, फिर उसे लगा कि अब महू में रहना उसके लिए मुश्किल हो जाएगा, लिहाजा उसने अपने गांव लौटने का मन बना लिया। हालांकि कुछ लोगों का कहना है कि भूख से एक बैल मर गया, इस कारण से उसने दूसरे बैल की जगह खुद ही बैलगाड़ी खींचने लगा। यह श्रमिक परिवार बैलगाड़ी से ही अपने गांव की तरफ निकल पड़ा। एक बैल होने पर दूसरे बैल की भूमिका परिवार के सदस्य निभा रहे है।

रास्ते में मीडिया से जुड़े लोगों ने उससे बात की तो उसका यही कहना था कि एक ही बैल उसके पास है तो उसके पास ऐसा करने अथार्त बैल की तरह बैलगाड़ी को आगे खींचने के अलावा केाई दूसरा रास्ता नहीं है। परिवार में कुल तीन सदस्य हैं जिसमें दो पुरुष हैं। वे दोनों बारी-बारी से बैल बनकर गाड़ी को खींचे जाते हैं। एक बैल की जगह नथकर गाड़ी खींचता है तो दूसरा सहयोग करता है। जब यह दोनों थक जाते हैं तो महिला भी बैल की भूमिका निभाने लगती है। बैलगाड़ी में एक तरफ बैल की जगह इंसान के होने का वीडियो और तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हो रही हैं मगर इसकी आधिकारिक तौर पर कोई पुष्टि करने को तैयार नहीं है।

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