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नई दिल्ली: मध्य प्रदेश के सियासी घमासान के बीच कांग्रेस की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. कोर्ट में कांग्रेस की ओर से वकील दुष्यंत दवे ने कहा, ''आज हम एक अजीबोगरीब स्थिति में हैं. राज्य की जनता ने कांग्रेस पार्टी (114 सीटों) पर भरोसा किया और भाजपा ने 109 सीटें जीतीं। सबसे बड़ी पार्टी ने उस दिन विश्वास मत जीता था। 18 महीनों से बहुत ही स्थिर सरकार काम कर रही थी।'' कांग्रेस ने आगे कहा, ''स्पीकर को ये देखना होगा कि इस्तीफे स्वैच्छिक हैं या नहीं।'' दवे ने आगे कहा, ''विधायकों को अगुवा किया गया। राज्यपाल ने फ्लोर टेस्ट का जो आदेश भेजा वो पूरी तरह असंवैधानिक है।''

कोर्ट में दुष्यंत दवे ने कहा, ''यह साधारण फ्लोर टेस्ट का सवाल नहीं है, बल्कि बाहुबल और धन शक्ति का उपयोग करके लोकतंत्र को नष्ट करने का सवाल है।'' उन्होंने कहा, ''आज सुबह दिग्विजय सिंह वहां गए लेकिन उन्हें हिरासत में लिया गया है। वे क्या चाहते हैं, मुझे समझ नहीं आ रहा। भाजपा एक जिम्मेदार और केंद्र की सत्ता में पार्टी है। हम एक संकट का सामना कर रहे हैं जो मानवता ने पहले कभी नहीं देखा है, क्या वे चाहते हैं कि अदालत अब इस पर सुनवाई करे।''

दवे ने कोर्ट में कहा कि इस समय दुनिया गंभीर समस्या से गुजर रहा है ऐसे में क्या अभी बहुमत परीक्षण जरूरी है? संविधान पीठ से तय करे कि क्या विधायक इस तरह इस्तीफा दे सकते हैं? कांग्रेस ने अब गवर्नर पर सवाल खड़ा करते हुए उनके पत्र का हवाला दिया और कहा, ''गवर्नर ये कैसे कह सकते है कि हमारे पास बहुमत नहीं है जबकि बहुमत परीक्षण भी नहीं हुआ। कोई भी विश्वास मत केवल 16 विधायकों की उपस्थिति में होना चाहिए। यदि कांग्रेस से जुड़े 22 विधायकों ने इस्तीफा दे दिया है और यदि सीट खाली हो गई है, तो विश्वास मत को उक्त 22 निर्वाचन क्षेत्रों के मतदाताओं के प्रतिनिधित्व के बिना नहीं रखा जा सकता है, जिसे केवल चुनाव द्वारा सुरक्षित किया जा सकता है।''

कांग्रेस की तरफ से वकील दवे ने कहा, ''स्पीकर सदन के मास्टर हैं, वह (गवर्नर) स्पीकर को भी ओवरराइड कर रहे हैं। जब उन्होंने देश में हर चीज को बेमानी बना दिया है तो देश में उनके कोई अधिकार क्यों है?'' कांग्रेस ने कहा कि 16 बागी विधायक अभी भी बंगलोर में है। वो अभी तक वापस मध्य प्रदेश नहीं आये। ऐसे में वो चाहते है कि कोर्ट उनकी अर्जी पर सुनवाई कर उन्हें राहत दे। मैं कोर्ट से गुजारिश करता हूं कि बागी विधायकों की अर्जी पर कोई आदेश न जारी किया जाए।''

दवे ने दलील में कहा, ''या तो सभी विधायक सदन में आएं या फिर इस्तीफ़ा शुदा सीटों पर फिर से चुनाव होने तक शक्तिपरीक्षण कराने की याचिका पर सुनवाई ना हो। विधायकों को जहां रखा गया है वहां एक-कमरे का खर्च 30-40 हजार है।'' जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ ने इस पर कहा, ''एक तरफ, जब मैंने "संवैधानिक नैतिकता" अभिव्यक्ति का उपयोग किया तो मेरी आलोचना की गई थी, लेकिन जब बीआर अंबेडकर ने अभिव्यक्ति का उपयोग किया था तो इसका मतलब निकाला गया कि संविधान के सिद्धांतों से ही संवैधानिक नैतिकता आया है।''

दुष्यंत दवे संविधान सभा की उस डिबेट को पढ़ा रहे है जिसमें भीम राव अम्बेडकर ने संविधान के उद्देश्य को लेकर बात कही थी। स्थिर शासन को संविधान की एक बुनियादी संरचना के रूप में माना जाना चाहिए ताकि कोई भी निर्वाचित सरकार की स्थिरता के खिलाफ काम न करे। राज्यपाल के पास रात में सीएम या स्पीकर को कुछ भी करने के लिए निर्देश भेजने का कोई बिजनेस नहीं था। जिसपर कहा, ''तभी पांच साल के कार्यकाल का प्रावधान रखा गया है।''

दवे ने कहा, ''एक विधायक का कर्तव्य है, अपनी शपथ के अनुसार, जब कोई आपसे चार्टर्ड फ्लाइट और एक सुंदर होटल में ठहरने का वादा करता है, तो उसे भागना नहीं है। उनका कर्तव्य लोगों के प्रति है।'' कोर्ट ने पूछा, ''अभी तक कितने विधायकों का इस्तीफा मंजूर हुआ है।'' इस पर कांग्रेस का वकील दुष्यंत दवे ने कहा, ''6 विधायकों का।'' जस्टिस चंद्रचूड ने कहा, ''जब स्पीकर ने 6 का इस्तीफा स्वीकार किया तो क्या उन्होंने सभी 22 विधायकों पर अपने विवेक का इस्तेमाल किया।'' इस पर दवे ने कहा, ''आज सबसे बुनियादी मुद्दा यह है कि राज्यपाल एक फ्लोर टेस्ट के लिए कैसे निर्देशित कर सकते हैं? वह यह तय करने वाले कोई नहीं है। इस्तीफे पर निर्णय लेने के लिए राज्यपाल की कोई भूमिका नहीं है। दसवीं अनुसूची के तहत अयोग्यता कार्यवाही में राज्यपाल की कोई भूमिका नहीं है। राज्यपाल द्वारा ऐसा कोई भी आदेश संवैधानिक रूप से ठहरने वाला नहीं है।''

जस्टिस गुप्ता ने कहा, ''हम दसवीं अनुसूची पर नहीं हैं।'' इस पर दवे ने कहा, ''लेकिन फ्लोर टेस्ट के आदेश तो राज्यपाल ने दिए हैं।'' जस्टिस हेमंत गुप्ता ने कहा, ''यही तो वे कर रहे हैं। वे अपनी सदस्यता छोड़ रहे हैं और मतदाताओं के पास फिर से जा सकते हैं।'' दवे ने कहा, ''यह एक बहुत ही सीमित व्याख्या है। कांग्रेस सरकार तुरंत ना हटे तो आसमान नहीं गिरेगा और शिवराज सिंह चौहान की सरकार को जनता के बीच जाना चाहिए।'' दवे ने कहा परिस्थिति को अलग से एकांगी तौर पर देखने की बजाय समग्र में देखा जाय। जिन विधायकों के इस्तीफे मंज़ूर हो जाएं उन सीटों पर उपचुनाव हो जाय फिर शक्ति परीक्षण हो।''

दवे ने कहा कि इस चरण पर बहुमत परीक्षण की इजाजत नही दी जानी चाहिए। सभी 22 विधायकों को चुनाव में उतरने दिया जाए। इसके बाद फ्लोर टेस्ट हो।'' दुष्यन्त दवे की तरफ से बहस पूरी हुई।

सिंघवी ने कोर्ट से समय मांगा जवाब दाखिल करने के लिए, लेकिन वकील मुकुल रोहतगी ने विरोध किया कहा समय देना ठीक नहीं। कोर्ट को तुरन्त आदेश देना चाहिए। रोहतगी ने कहा कांग्रेस वही पार्टी है जिसने 1975 में आपातकाल लगा कर लोकतंत्र की हत्या की थी। कांग्रेस पार्टी का मकसद केवल सत्ता में रहना है। रोहतगी ने कहा कि ये केस कोई दलबदल का केस नहीं है, ये केस विधायकों के इस्तीफा देने का है।''

वकील मुकुल रोहतगी ने कहा, ''राज्यपाल राज्य के संवैधानिक मुखिया है ये उनकी जिम्मेदारी है कि वो सुनिश्चित करे कि राज्य में काम संविधान के मुताबिक चलता रहे।'' रोहतगी ने आगे कहा, ''यह सत्ता की वासना है जिसके कारण ये सभी तर्क दिए जा रहे हैं। यह अनसुनी बात है कि एक व्यक्ति जिसने बहुमत खो दिया है और एक दिन भी जारी नहीं रख सकता, अब कह रहा है कि वह 6 महीने तक जारी रखना चाहता है। फिर से चुनाव होना चाहिए और फिर एक विश्वास मत हो।''

जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा, ''मुद्दा यह है कि उन्होंने इस्तीफा दिया है इस पर स्पीकर द्वारा परीक्षण किया जाना है। स्पीकर का कर्तव्य है कि वह यह जांचने के लिए बाध्य है कि क्या किसी को इस्तीफा देने के लिए मजबूर किया गया है। स्पीकर को पहले इस्तीफा स्वीकार करना होगा। यह एक न्यायाधीश के इस्तीफे की तरह नहीं है, जहां वह अपने हाथों से इस्तीफा देता है। स्पीकर को खुद को संतुष्ट करना होगा।''

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