नई दिल्ली: मध्य प्रदेश में चल रहे सियासी घमासान के बीच भारतीय जनता पार्टी के पाले में गेंद अब भी पूरी तरह से आती हुई नहीं दिख रही है। सूत्रों के मुताबिक बेंगलुरू में ठहरे ज्योतिरादित्य सिंधिया खेमे के 10 विधायक और 2 मंत्री भाजपा में जाने को तैयार नहीं हो रहे हैं। उनका कहना है कि हम लोग ज्योतिरादित्य सिंधिया के लिए आए थे, भाजपा में जाने के लिए नहीं। वहीं बताया जा रहा है कि मध्य प्रदेश भाजपा में भी अंदरूनी खींचतान शुरू हो गई है। इसी बीच बेंगलुरु में मौजूद 19 विधायकों से मुलाकात करने के बाद कांग्रेस नेता सज्जन सिंह ने कहा कि इस्तीफा देने वाले ज्यादातर विधायक भाजपा में जाने को तैयार नहीं है। मध्य प्रदेश के वरिष्ठ कांग्रेस नेता सज्जन सिंह ने कहा, 'सिंधिया जी के साथ जाने के लिए कोई भी इस्तीफा देने वाले विधायक तैयार नहीं हैं। उन्होंने बताया है कि उन्हें गुमराह करके बेंगलुरु लाया गया। ज्यादातर विधायक भाजपा में शामिल होने को तैयार नहीं हैं।'
मंगलवार को भाजपा कार्यालय में नरोत्तम मिश्रा के समर्थन में नारे लगे थे, जिसे लेकर अंदरूनी खींचतान शुरू हो गई। इसके साथ ही पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान को लेकर भी सवाल उठ रहे हैं।
बताया जा रहा है कि बेंगलुरु में रुके हुए कांग्रेस विधायक भी अपनी भूमिका को लेकर पसोपेश में हैं। बता दें, कांग्रेस को जबरदस्त झटका देते हुए पार्टी के प्रमुख युवा नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया ने पार्टी से त्यागपत्र दे दिया। सिंधिया के साथ ही उनके समर्थक पार्टी के 22 विधायकों के इस्तीफे से राज्य की कमलनाथ सरकार पर संकट के बादल मंडराने लगे हैं।
कांग्रेस छोड़ने वाले 49 वर्षीय सिंधिया केंद्र में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो सकते हैं। उनकी दादी दिवंगत विजय राजे सिंधिया इसी पार्टी में थीं। ऐसी अटकले हैं कि सिंधिया को राज्यसभा का टिकट दिया जा सकता है और उन्हें केंद्रीय मंत्री बनाया जा सकता है। कांग्रेस ने पार्टी विरोधी गतिविधि के कारण पार्टी के महासचिव एवं पूर्ववर्ती ग्वालियर राजघराने के वंशज ज्योतिरादित्य सिंधिया को पार्टी से निष्कासित कर दिया।
मंगलवार सुबह जब पूरा देश होली का जश्न मना रहा था, तभी सिंधिया ने भाजपा के वरिष्ठ नेता और गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की। इसके बाद उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से उनके 7, लोक कल्याण मार्ग स्थित आवास पर मुलाकात की। बैठक में क्या बातचीत हुई, इस बारे में आधिकारिक रूप से कुछ भी नहीं कहा गया है। अब दोनों पार्टियां कांग्रेस और भाजपा अपने-अपने विधायकों को बचाने में लगी हैं।