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नई दिल्ली: मध्य प्रदेश में कांग्रेस सरकार के लिए उस वक्त संकट और गहरा हो गया जब यह खबर आई कि पार्टी के एक विधायक हरदीप सिंह डांग ने विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफे दे दिया। हालांकि, मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कहा कि उन्हें हरदीप सिंह के इस्तीफ की खबर मिली है। उन्होंने कहा- “मुझे उनकी तरफ से न कोई पत्र मिला और न ही इस पर चर्चा हुई। जब तक मैं व्यक्तिगत रूप से नहीं मिल लेता हूं, किसी तरह की टिप्पणी करना ठीक नहीं होगा।”

उधर, मध्य प्रदेश के स्पीकर एन.पी. प्रजापति ने कहा- “मुझे हरदीप सिंह के इस्तीफे की खबर मिली है। उन्होंने व्यक्तिगत तौर पर मुझे इस्तीफा नहीं दिया है। जब वे अपना इस्तीफा मुझे देंगे तो नियम के मुताबिक उस पर आवश्यक कार्रवाई की जाएगी।” इससे पहले, मध्य प्रदेश की कमलनाथ सरकार में शामिल एक निर्दलीय विधायक प्रदीप जायसवाल ने कहा था कि जब तक कमलनाथ की सरकार है, तब तक मैं उनके साथ हूं। आगे उन्होंने कहा कि भविष्य में अगर सरकार गिर जाती है तो मेरे विकल्प खुले रहेंगे। मैं अपने विधानसभा क्षेत्र की जनता के हित को ध्यान में रखते हुए फैसला लूंगा।

मध्य प्रदेश के ताजा राजनीतिक घटनाक्रम को लेकर बुधवार को कांग्रेस ने दावा किया था कि भाजपा काले धन के जरिए कमलनाथ सरकार को अस्थिर करने का प्रयास कर रही है, लेकिन वह सफल नहीं होगी। पार्टी प्रवक्ता शक्ति सिंह गोहिल ने यह आरोप भी लगाया कि यह सब भाजपा के शीर्ष नेतृत्व के इशारे पर हो रहा है।

वहीं मध्यप्रदेश के बहुजन समाज पार्टी (बसपा) और समाजवादी पार्टी (सपा) के विधायकों ने कांग्रेस द्वारा भाजपा पर लगाए जा रहे उनकी खरीद-फरोख्त और अपहरण के आरोपों से गुरुवार को साफ-साफ इनकार किया है। कांग्रेस नेताओं ने दावा किया था कि वे बसपा और सपा विधायकों को भाजपा से बचाकर विशेष विमान से दिल्ली से भोपाल लेकर आए। बसपा विधायक संजीव सिंह कुशवाहा, रामबाई तथा सपा विधायक राजेश शुक्ला ने कांग्रेस के इन आरोपों से इंकार किया कि उन्हें भाजपा नेताओं ने बहला- फुसलाकर अगवा कर लिया था।

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