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जबलपुर: मध्य प्रदेश में भी अब पूर्व मुख्यमंत्री सरकारी बंगलों का उपयोग नहीं कर सकेंगे। हाईकोर्ट ने राज्य शासन को आदेश दिया है कि वह एक माह के भीतर सभी पूर्व मुख्यमंत्रियों से सरकारी बंगलों को खाली करा ले। हाईकोर्ट के इस आदेश से वर्षों से राजधानी भोपाल में सरकारी बंगलों का सुख भोग रहे पूर्व मुख्यमंत्रियों में खलबली मच गई है। हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस हेमंत गुप्ता व जस्टिस विजय कुमार शुक्ला की डिवीजन बेंच ने मंगलवार 19 जून को दिये आदेश में मध्य प्रदेश मंत्री वेतन एवं भत्ता अधिनियम 2017 में किये गये संशोधन को असंवैधानिक बताते हुए सरकारी बंगलां में काबिज पूर्व मुख्यमंत्रियों से आवास खाली कराने का आदेश दिया है।

एमपी हाईकोर्ट में सिविल लाइंस निवासी विधि के छात्र रौनक यादव ने जनहित याचिका दायर की थी, जिसमें कहा गया था कि पूर्व मुख्यमंत्रियों कैलाश जोशी, दिग्विजय सिंह व उमा भारती को तत्कालीन राज्य सरकार ने सरकारी आवास आवंटित किये थे, लेकिन इन्होंने मुख्यमंत्री पद पर न रहने के बावजूद इन बंगलों पर कब्जा कर रखा है। इसके अलावा कई प्रशासनिक व शासकीय अधिकारी भी भोपाल में पदस्थ नहीं है, किंतु वे भोपाल में सरकारी बंगलों पर कब्जा जमाए हुए हैं।

याचिका में मप्र मंत्री (वेतन एवं भत्ता) अधिनियम 1972 के प्रावधानों का उल्लंघन बताते हुए याचिका में बंगलों को खाली कराने व अनधिकृत उपयोग की अवधि का किराया वसूल किये जाने का आग्रह किया गया। याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता विपिन यादव ने कोर्ट को बताया कि याचिका लंबित रहने के दौरान 24 गस्त 2017 को मप्र मंत्री (वेतन तथा भत्ता) अधिनियम संशोधन 2017 अधिसूचित किया गया। इसके तहत वर्तमान मंत्रियों व पूर्व मुख्यमंत्रियों को मुफ्त सरकारी आवास प्रदान करने की व्यवस्ता दी गई है, लेकिन यह संशोधन संवैधानिक नहीं है। चीफ जस्टिस हेमंत गुप्ता व जस्टिस विजय कुमार शुक्ला की डिवीजन बेंच ने याचिकाकर्ता के तर्कों को सही माना और संशोधन को असंवैधानिक करार दिया है।

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