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मुंबई: बाम्बे हाई कोर्ट ने टेलीफोन केबल गायब होने के मामले में विभागीय जांच में दोषी पाए जाने पर महानगर टेलीफोन निगम लिमिटेड के एक कनिष्ठ दूरसंचार अधिकारी को अनिवार्य सेवानिवृत्ति देने के अधिकारियों के निर्णय में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया है। न्यायमूर्ति नरेश पाटिल एवं न्यायमूर्ति प्रकाश नाइक ने हाल में सुनाए गए एक आदेश में कहा, ‘‘याचिकाकर्ता की याचिका में ऐसा कोई मामला नहीं बनता है जिसके आधार पर यह अदालत अपने रिट क्षेत्राधिकार का उपयोग करते हुए हस्तक्षेप करे।’’ विभाग ने आरोप लगाया था कि कनिष्ठ दूरसंचार अधिकारी के तौर पर कार्यरत याचिकाकर्ता प्रकाश त्यागी ने करीब 600 मीटर केबल बिछाई नहीं थीं लेकिन उसने रिकॉर्ड में दिखाया कि उसने केबल तार बिछा दी है। इस संबंध में नौ फरवरी, 1988 में जुहू पुलिस थाने में प्राथमिकी दर्ज कराई गई थी। विभाग के जांच अधिकारी ने सात जनवरी, 1991 केा एक रिपोर्ट दायर करके याचिकाकर्ता प्रकाश त्यागी को दोषी ठहराया था। अनुशासनात्मक प्राधिकारी ने 17 अगस्त 1995 को एक आदेश पारित करके याचिकाकर्ता को अनिवार्य सेवानिवृत्ति दी थी।

इससे पहले केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण ने भी त्यागी की याचिका खारिज कर दी थी जिसके बाद उसने उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था।

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