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नई दिल्‍ली: दही हांडी उत्‍सव के दौरान मानवीय पिरामिड के संबंध में एक नई याचिका पर बुधवार को सुनवाई करते हुए सुनवाई सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में संशोधन से इनकार कर दिया। शीर्ष कोर्ट ने कहा कि दही हांडी उत्सव में मानव पिरामिड की अधिकतम उंचाई 20 फुट ही रहेगी। गौर हो कि सुप्रीम कोर्ट ने दही हांडी से संबंधित एक याचिका को सुनवाई के लिए स्वीकार कर लिया। इस याचिका में शीर्ष अदालत की ओर से तय की गई मानव पिरामिड की 20 फुट उंचाई में ढील देने का अनुरोध किया गया। महाराष्ट्र में जन्माष्टमी के दिन दही हांडी उत्सव के दौरान मानव पिरामिड बनाए जाते हैं। न्यायमूर्ति एआर दवे, यूयू ललित और एल नागेवश्वर राव की पीठ ने इस याचिका पर आज ही सुनवाई की क्योंकि देशभर में यह उत्सव कल ही मनाया जाना है। यह नई याचिका मुंबई के जय जवान क्रीड़ा मंडल गोविंदा पाठक की ओर से दायर की गई1 इस संगठन का कहना था कि चूंकि 18 वर्ष से कम आयु के प्रतिभागियों की ओर से दही हांडी उत्सव में भाग लेने पर पाबंदी लगा दी गई है, इसलिए मानव पिरामिड की उंचाई में ढील दी जानी चाहिए क्योंकि रोमांच हर खेल का अहम हिस्सा होता है। उच्चतम न्यायालय ने महाराष्ट्र में होने वाले दही हांडी उत्सव को लेकर बम्बई उच्च न्यायालय द्वारा लगाई गई शर्तों में पहले ढील देने से इनकार कर दिया था। इन शर्तों में कहा गया था कि पिरामिड में 18 वर्ष से कम उम्र के युवाओं के भाग लेने पर रोक रहेगी और मानव पिरामिड की उंचाई 20 फुट तक ही रखी जा सकती है।

हालांकि पीठ ने उच्च न्यायालय के ‘दही हांडी’ उत्सव को नियंत्रित करने से संबंधित दो निर्देशों को रद्द कर दिया। इनमें से एक निर्देश उस कानून में संशोधन से संबंधित था जो 18 वर्ष से कम आयु के बच्चों के ‘दही हांडी’ जैसे उत्सवों में मानव पिरामिड बनाने जैसी खतरनाक प्रस्तुतियों में शामिल होने पर रोक लगाता है। उच्च न्यायालय ने दूसरे निर्देश में आयोजकों की ओर से प्रशासन को आयोजन से 15 दिन पहले कुछ जानकारियां देना अनिवार्य कर दिया था। इसमें कहा गया था कि आयोजक उत्सव के स्थल, इसके समय और प्रतिभागियों की व्यक्तिगत जानकारियां प्रशासन को दें। इस निर्देश को समय के अभाव के मद्देनजर रद्द कर दिया गया।

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