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मुंबई: राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के प्रमुख शरद पवार ने शनिवार को पार्टी के दो बड़े नेता सुप्रिया सुले और प्रफुल्ल पटेल को एनसीपी का कार्यकारी अध्यक्ष घोषित किया। पवार ने पार्टी की 25वीं वर्षगांठ पर ये घोषणा की। शरद पवार ने पीए संगमा के साथ 1999 में इस पार्टी की स्थापना की थी। एनसीपी के प्रमुख नेता अजित पवार की मौजूदगी में ये घोषणा की गई।

एनसीपी के कार्यकारी अध्यक्ष के चयन के बाद अजित पवार ने ट्वीट कर कहा, "राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी की 24वीं वर्षगांठ पर, सांसद प्रफुल्लभाई पटेल और सांसद सुप्रियाताई सुले को माननीय शरद चंद्र पवार के मार्गदर्शन में पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष के रूप में चुना गया। साथ ही सांसद प्रफुल्लभाई पटेल, सांसद सुप्रियताई सुले, सांसद सुनील तटकरे, डॉ. योगानंद शास्त्री, केके शर्मा, पीपी मोहम्मद फैसल, नरेंद्र वर्मा, जितेंद्र अवध, एस आर सहयोगी कोहली, नसीम सिद्दीकी को पार्टी के भीतर कई महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां दी गई हैं। इन सभी साथियों को बधाई!" विश्वास है कि माननीय महोदय द्वारा दी गई जिम्मेदारी को सभी साथी सफलतापूर्वक पूरा करेंगे।

आदरणीय शरद चंद्र पवार साहब के नेतृत्व और मार्गदर्शन में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी "दिल में महाराष्ट्र... नजर के सामने राष्ट्र...‘ के विचार के साथ रजत जयंती वर्ष में पदार्पण कर रही है। देश व प्रदेश के विकास में अमूल्य योगदान माना जा रहा है कि एनसीपी पार्टी का हर कार्यकर्ता और पदाधिकारी इस लक्ष्य की दिशा में काम करेगा। नवनिर्वाचित पदाधिकारियों को पुनः बधाई!"

शरद पवार ने पिछले महीने पार्टी के अध्यक्ष पद से इस्तीफे की पेशकश की थी, जिसका पार्टी के सदस्यों के साथ-साथ अन्य राजनीतिक नेताओं ने जोरदार विरोध किया था। पवार की पेशकश पर विचार.विमर्श के लिए गठित राकांपा की समिति ने पांच मई को उनके इस्तीफे को खारिज कर दिया था और उनसे पार्टी अध्यक्ष बने रहने का आग्रह किया था।

सुप्रिया सुले को यह जिम्मेदारी देकर शरद पवार ने साफ कर दिया है कि एनसीपी का भविष्य कौन है और पार्टी किसके पास रहेगी। शरद पवार के मराठी में अपनी आत्मकथा के विमोचन के वक्त जब जो एनसीपी के अध्यक्ष का पद छोड़ने की बात कही थी और उसके बाद पार्टी में जो भूचाल आया था उसके बाद आज एनसीपी के स्थापना दिवस पर यह घोषणा कर उस बहस पर हमेशा के लिए पर्दा डाल दिया कि सुप्रिया सुले और अजित पवार में एनसीपी की बागडोर किसके हाथ में जाएगी।

अजित पवार को लेकर कोई घोषणा नहीं की गई है। मगर माना जाता है कि महाराष्ट्र एनसीपी पर उनका दबदबा कायम रहेगा। हालांकि महाराष्ट्र एनसीपी के अध्यक्ष अभी भी जयंत पाटिल हैं, जो शरद पवार के बहुत ही करीबी हैं। शरद पवार ने आज जो घोषणा की है, उसमें सुप्रिया सुले को पंजाब और हरियाणा के साथ महाराष्ट्र का प्रभारी भी बनाया गया है। यानि प्रभारी के तौर पर सुप्रिया सुले की एक नजर हमेशा अजित पवार पर रहेगी। यही नहीं सुप्रिया सुले को केन्द्रीय चुनाव समिति का भी अध्यक्ष बनाया गया है। इसका मतलब हुआ कि जब भी टिकट बांटे जाएंगे, सुप्रिया की चलेगी और जब महाराष्ट्र में टिकट बांटने के लिए समिति बनाई जाएगी, उसका गठन भी वही करेगी यानि हर स्तर पर कार्यकारी अध्यक्ष का हाथ रहना जरूरी है।

ठाकरे ने बनाया था बीजेपी पर दबाव

सुप्रिया सुले के लिए राजनीति नई नहीं है। 2006 में उप चुनाव में निर्विरोध चुने जाने के बाद वो राज्यसभा में आई थी, तब बाला साहब ठाकरे ने उनके लिए बीजेपी को अपना उम्मीदवार ना खड़ा करने के लिए दबाव बनाया था और सफल रहे थे। सुप्रिया लगातार तीसरी बार बारामती से सांसद हैं।

चुनौतियों का सामना करने का वक्‍त

अब सुप्रिया सुले के लिए चुनौतियों का सामना करने का वक्त आ गया है। शरद पवार की बढ़ती उम्र के बाद एनसीपी अब उनकी जिम्मेवारी होगी, जहां उन्हें महाराष्ट्र के अंदर कदम.कदम पर अजित पवार के साथ सामंजस्य बैठाना होगा, यही उनकी परीक्षा भी है क्योंकि बीएमसी से लेकर लोकसभा और विधानसभा के तमाम चुनाव अगले साल तक होने हैं। प्रफुल्ल पटेल, अनिल देशमुख, छगन भुजबल, जयंत पाटिल जैसे लोगों का साथ उनका काम आसान करेगा।

हर राजनैतिक कदम पर होंगी निगाहें

राष्ट्रीय राजनीति पर तो उनकी पकड़ है, लेकिन आने वाले दिनों में महाराष्ट्र की राजनीति में भी अपने आप को मजबूत साबित करना या अपनी पकड़ दिखानी पड़ेगी, जिस सहज ढंग से सुप्रिया सुले खास जन से आम लोगों तक पहुंच जाती है और जो ट्रेनिंग उन्हें अपने पिता शरद पवार से मिली है। सुप्रिया सुले यह काम भी बखूबी निभा सकती हैं, क्योंकि नई पीढ़ी के नेताओं खासकर उद्धव ठाकरे, राहुल गांधी, अखिलेश यादव और जयंत चौधरी से लेकर तेजस्वी यादव तक उनके हर राजनैतिक कदम पर निगाहें रखेंगे।

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