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मुंबईः केंद्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने चीन को लेकर भारत सरकार की नीतियों की आलोचना करने के लिए कांग्रेस नेता राहुल गांधी पर नया हमला बोला और कहा कि राहुल गांधी को अपनी टिप्पणी पर शर्म आनी चाहिए। निर्मला सीतारमण सोमवार को मुंबई में पत्रकारों से बातचीत कर रही थीं।

वित्तमंत्री ने कहाए "उन्हें (राहुल गांधी को) चीन के मुद्दे पर भारत सरकार पर कटाक्ष करते हुए शर्म आनी चाहिए... उन्हें चीनी राजदूत जानकारी देते हैं, लेकिन वह उन बातों को नहीं सुनते, जो इस मुद्दे पर हमारे विदेशमंत्री एस जयशंकर कहते हैं।"

निर्मला सीतारमण का बयान विदेशमंत्री एस. जयशंकर की उस प्रतिक्रिया के कुछ हफ्ते बाद आया है, जिसमें विदेशमंत्री ने डोकलाम संकट के दौरान भारत में चीनी राजदूत के साथ राहुल गांधी की मुलाकात का ज़िक्र किया था। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने यह कहते हुए भारत सरकार पर हमला किया था कि चीन की सलामी स्लाइसिंग रणनीति से भारत ने नया इलाका खो दिया। कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी ने चीन से ताल्लुकात को भारत सरकार द्वारा संभाले जाने के मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आलोचना की थी।

जिसके जवाब में विदेशमंत्री एस. जयशंकर ने कहा था, "मैं चीन को लेकर राहुल गांधी से सबक सीखने को तैयार हो जाता, लेकिन मुझे पता चला है कि वह (राहुल गांध) चीन को लेकर चीन के राजदूत से ही सबक ले रहे थे।"

केंद्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा, "जब भी विदेशमंत्री (एस. जयशंकर) इस मुद्दे पर संसद में बोलते हैं, कांग्रेस पार्टी के नेता या तो वॉकआउट कर जाते हैं (सदन से बाहर चले जाते हैं) या विदेशमंत्री के भाषण को बाधित करने के लिए ऊंची-ऊंची आवाज़ में चिल्लाने लगते हैं।"

उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की निंदा करने के लिए भी राहुल गांधी की भर्त्सना की और कहा कि कोई नहीं जानता कि उन्होंने (राहुल गांधी ने) चीनी लोगों के साथ क्या समझौता किया है।

उन्होंने कहा, ‘"उन्हें (राहुल गांधी को) ‘56 इंच‘ का ताना मारते हुए भी शर्म आनी चाहिए, खासकर तब, जब कोई नहीं जानता कि उन्होंने चीनी लोगों के साथ क्या समझौता किया था।"

केंद्रीय वित्तमंत्री ने कहा, "न आप, न हम और न कोई और जानता है कि उस समझौते में क्या था... आप (पत्रकारों) को उनसे यह सवाल भी पूछना चाहिए कि वह चीनियों के साथ अपने समझौते के ब्योरे के साथ सामने क्यों नहीं आते... आपको सच बोलना चाहिए।"

राजनीति में मुफ़्त उपहारों (फ्रीबीएस) की संस्कृति पर बोलते हुए निर्मला सीतारमण ने कहा कि मुफ़्त उपहारों के मुद्दे पर चर्चा होनी चाहिए। उन्होंने कहा, 'राजनीति में मुफ़्त उपहारों की संस्कृति बढ़ रही है और मैं नहीं जानती, यह कब तक जारी रहेगी... मैं सिर्फ यह कह सकती हूं कि मुफ़्त उपहारों के मुद्दे पर चर्चा और बहस होनी चाहिए... हम यह नहीं कह सकते हैं कि हमारे मुफ़्त उपहार सही हैं और उनके मुफ़्त उपहार गलत हैं... मुफ़्त की ज़रूरत और राजनीति पर चर्चा और बहस होनी चाहिए।'

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