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मुंबई: टाटा इंस्‍टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेस (टीआईएसएस) प्रशासन की चेतावनी के बावजूद मुंबई में स्‍टूडेंट्स, पीएम मोदी पर बीबीसी की विवादित डॉक्‍यूमेंटी की स्‍क्रीनिंग कर रहे हैं। बता दें, स्‍टूडेंट्स के एक ग्रुप के बीबीसी की विवादित डॉक्‍यूमेंट्री दिखाने की योजना बनाने संबंधी रिपोर्ट्स के बाद मुंबई के टीआईएसएस ने स्‍टूडेंट्स और मैनेजमेंट के लिए एडवाइजरी जारी की थी। इस एडवाइजरी में कैंपस में ऐसे किसी भी आयोजन को लेकर चेताया गया था।

टीआईएसएस ने कहा है कि इस एडवाइजरी पर ध्‍यान न देने की स्थि‍ति में नियमों के मुताबिक सख्‍ती से निपटा जाएगा।

एडवाइजरी में कहा गया है, "हमारे ध्‍यान में लाया गया है कि कुछ स्‍टूडेंट्स, सरकार द्वारा प्रतिबंधित बीबीसी डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग के संबंध में जारी की गई सलाह का उल्लंघन करने वाली गतिविधियों में लगे हुए हैं और स्‍टूडेंट्स को जुटाने का प्रयास कर रहे हैं। संस्थान ने "ऐसी किसी भी स्क्रीनिंग कीअनुमति नहीं दी है जो अकादमिक माहौल को प्रभावित कर सकती है।"

बीजेपी और आरएसएस से संबंद्ध अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) और भारतीय जनता युवा मोर्चा (बीजेवाईएम)ने स्‍क्रीनिंग की योजना के खिलाफ कैंपस के बाहर प्रदर्शन किया। बीजेपी की मुंबई यूनिट के प्रमुख आशीष शेलार ने ट्वीट किया, "पुलिस को तुरंत इसे बैन करना चाहिए वरना वह स्‍टेंड लेंगे जो लेना चाहते हैं।" गौरतलब है कि पीएम मोदी पर बीबीसी की डॉक्‍यूमेंटी को लेकर विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा। कुछ दिन पहले दिल्‍ली के जवाहर लाल यूनिवर्सिटी में डॉक्‍यूमेंटी की स्‍क्रीनिंग को लेकर अड़े स्‍टूडेंटस को इस काम से 'रोकने' के लिए प्रशासन ने कैंपस की बिजली और इंटरनेट सप्‍लाई काट दी थी। शुक्रवार को राष्‍ट्रीय राजधानी की दो यूनिवर्सिटी डीयू और अंबेडकर यूनिवर्सिटी में भी विवि प्रशासन और पुलिस ने ऐसे ही कदम उठाए।

डीयू की आर्ट फैकल्‍टी में डॉक्‍यूमेंटी की स्‍क्रीनिंग की योजना थी लेकिन इसके बाहर स्‍टूडेंट्स के जमावड़े पर रोक लगा दी गई थी। एक अन्‍य स्‍थान, अंबेडकर यूनिवर्सिटी में भी प्रशासन ने स्‍क्रीनिंग रोकने के लिए बिजली सप्‍लाई रोक दी थी। दोनों यूनिवर्सिटीज में स्‍टूडेंट्स के एक ग्रुप में इसे लेकर नारेबाजी और प्रदर्शन किया, इनमें से कई को पुलिस ने हिरासत में लिया था। दिल्ली और अंबेडकर यूनिवर्सिटी से पहले बीबीसी की इस डॉक्यूमेंट्री को जेएनयू और जामिया मिल्लिया इस्लामिया में भी दिखाने की योजना थी। लेकिन इन दोनों यूनिवर्सिटी में भी प्रशासन ने इस डॉक्यूमेंट्री को दिखाने की इजाजत नहीं दी थी।

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