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मुंबई: यह घोषणा करने के एक दिन बाद कि महाराष्ट्र सरकार ‘नोटिस काल’ में रखी गयी है, शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने बुधवार को कहा कि अब समय आ गया है कि राष्ट्रीय दलों से टक्कर लेने के लिए क्षेत्रीय दलों के महागठबंधन पर विचार किया जाए। उन्होंने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘नीतीश कुमार, ममता बनर्जी और (दिवंगत) जयललिता जैसे भाजपा के कई मित्र रहे हैं जिन्होंने अतीत में राजग से अलग होकर अपने बलबूते चुनाव लड़ा और विजयी रहे। लेकिन हम (शिवसेना) मासूम हैं। अच्छे दिन की आस और हिंदुत्व के भले के लिए हम गठबंधन में बने रहे।’ ठाकरे ने यह कहते हुए अपने आक्रामक तेवर और हमलावर कर लिए कि उनकी पार्टी ने बार-बार जो मुद्दे उठाए हैं उन पर यदि वरिष्ठ सहयोगी (भाजपा) अपना रूख साफ करने में विफल रहती है तो वह राज्य मंत्रिमंडल से समर्थन वापस ले सकते हैं। उन्होंने कहा, ‘हम भाजपा के दुश्मन नहीं हैं और यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि हम उसके विरोधी के तौर पर देखे जाते हैं। यदि आने वाले दिनों में वह विभिन्न मुद्दों पर अपना रूख साफ नहीं करती तो हम सरकार से समर्थन वापस ले सकते हैं।’ गृह राज्य महाराष्ट्र के बाहर कदम बढ़ाने वाली शिवसेना के नेता ने कहा, ‘पहले राज्य के बाहर चुनाव नहीं लड़ना हमारी गलती थी, उसके फलस्वरूप अन्य राज्यों में हमारे कार्यकर्ता दूसरे दलों में शामिल हो गए।’ उन्होंने कहा कि जम्मू कश्मीर से कन्याकुमारी तक हिंदुत्व की भावना का अभाव दिखता है।

ठाकरे ने कहा, ‘मैं क्षेत्रीय पार्टियों को साथ लाकर महासंघ बनाने पर विचार कर रहा हूं क्योंकि सभी राष्ट्रीय पार्टियों को बस अपनी चिंता होती है। वे वोट तो मांगते हैं लेकिन स्थानीय लोगों के विकास एवं कल्याण की जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ लेते हैं।’ उन्होंने कहा, ‘मोदी ने समान नागरिक संहिता, राममंदिर निर्माण और पाकिस्तान को सबक सिखाने जैसे कई वादे किए। लेकिन पिछले ढाई साल में उन्होंने क्या किया है? क्या लक्षित हमले ने सीमापर घुसपैठ एवं हमारे जवानों की हत्या रोक दी। वह अपनी सरकार के कामों की बात तो करते हैं लेकिन अपने दावे के पक्ष में सबूत नहीं देते।’ महाराष्ट्र में आगामी नगर निकाय चुनाव की पृष्ठभूमि में शिवसेना और भाजपा के संबंधों में खटास है, खासकर अपने राजनीतिक गढ़ मुम्बई में दोनों दल एक दूसरे के खिलाफ खड़े हैं।

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