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मुंबई: आगामी निकाय चुनाव में भाजपा के साथ गठबंधन ना करने का फैसला कर चुके शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे पार्टी के गढ़ मुंबई पर व्यक्तिगत रूप से ध्यान देंगे। ठाकरे अपने कार्यक्रम के अनुसार 12 फरवरी तक शहर में प्रचार करेंगे। वह यहां 19 रैलियों को संबोधित करेंगे। इसके बाद वह 13 से 17 फरवरी के बीच पुणे, पिम्परी-चिंचवाड, नासिक और ठाणे में एक एक रैली करेंगे। कल शाम प्रचार अभियान की शुरूआत करते हुए ठाकरे ने भाजपा पर निशाना साधा, यहां तक कि यह संकेत भी दिए कि मुंबई के नतीजे उम्मीद से कमतर होने पर शिवसेना चुनाव बाद पार्टी के साथ गठजोड़ नहीं करेगी। ठाकरे ने साथ ही कहा कि आगामी चुनावी लड़ाई कोई ‘‘दोस्ताना मुकाबला’’ नहीं है। उन्होंने साफ तौर पर ऐसा उन अटकलों को खारिज करते हुए कहा जिनमें बृहन्मुंबई महानगरपालिका चुनाव में खंडित जानदेश आने पर पार्टी के भाजपा के साथ गठजोड़ करने की संभावना जतायी गयी है। भाजपा के साथ ठंडे पड़ चुके संबंधों के बीच शिवसेना के अकेले महाराष्ट्र निकाय चुनाव लड़ने के फैसले ने सवाल खड़े कर दिए कि क्या पार्टी की रणनीति कारगर साबित होगी या फिर राज्य एवं केंद्र की सरकारों में शामिल दोनों भगवा दलों के बीच विभाजन बढ़ जाएगा। एक चुनाव विवेचक ने कहा, ‘‘चुनाव बाद ऐसी स्थिति हो जब दोनों पार्टियों के हाथ मिलाने की जरूरत पड़े तब क्या होगा? चुनाव में हो सकता है कि दोनों को एक कीमत चुकानी पड़े।

भाजपा को इस आधार पर काफी उम्मीदें हैं कि उसे :विधानसभा चुनाव में: जनादेश मिला है और 2014 में सत्ता में लाने वाली ‘मोदी लहर’ अब भी बनी हुई है। दूसरी तरफ शिवसेना को लगता है कि मुंबई उसका गढ़ है जिसे वह दूसरों के हाथों में गंवा नहीं सकती।’’ भाजपा के एक नेता ने नाम गुप्त रखने की शर्त पर कहा, ‘‘हालांकि चुनाव बाद दोनों पार्टियों को भले साथ आना पड़े, भाजपा अपने पारदर्शिता के एजेंडे पर जोर देगी और इसी शर्त पर शिवसेना से हाथ मिलाएगी।’’

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