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जयपुर: राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के बीच सबकुछ ठीक-ठाक नजर नहीं आ रहा है। भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा की ओर से वसुंधरा को छोड़कर अन्य सभी बड़े नेताओं को दिल्ली बुलाए जाने के बाद पूर्व मुख्यमंत्री के समर्थकों ने एक नया संगठन वसुंधरा राजे समर्थक राजस्थान (मंच) बनाने की घोषणा की है। संगठन बनाने वालों का कहना है कि वे चाहते हैं कि राजे 2023 में फिर मुख्यमंत्री बनें।

इस संगठन ने अपनी राज्य कार्यकारिणी बना ली है और कई जिलों में अपनी टीम गठित करने की घोषणा की है। भाजपा की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष राजे के समर्थकों द्वारा इस तरह से पार्टी से हटकर अलग संगठन बनाए जाने को पार्टी की राज्य इकाई में जारी खींचतान के प्रमाण के रूप में देखा जा रहा है। इस नवगठित वसुंधरा राजे समर्थक राजस्थान (मंच) के प्रदेश अध्यक्ष विजय भारद्वाज हैं जो खुद को भाजपा का सक्रिय कार्यकर्ता बताते हैं।

उन्होंने मीडिया से कहा, ''हमने 20 दिसंबर को यह संगठन बनाया। हमने 25 जिलों में पदाधिकारी नियुक्ति कर दिए हैं। हमारा लक्ष्य पूर्ववर्ती वसुंधरा राजे सरकार की उपलब्धियों व नीतियों का प्रचार प्रसार करना है।''

उन्होंने कहा,'' सतीश पूनियां राज्य में पार्टी भाजपा की अगुवाई कर रहे हैं। हमारी पहल से पार्टी मजबूत ही होगी। यह कोई समानांतर संगठन नहीं है बल्कि राजे के प्रति हमारी निष्ठा जताने का एक तरीका है। हम केवल उनकी उपलब्धियों का जनता में प्रचार प्रसार करेंगे। उन्होंने कहा कि राजे समर्थक चाहते हैं कि वह राज्य में 2023 के विधानसभा चुनाव में तीसरी बार मुख्यमंत्री बनें।

वहीं, भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनियां ने कहा कि इस तरह संगठन बनना कोई गंभीर मामला नहीं है और किसी व्यक्ति विशेष के बजाय पार्टी की विचारधारा बड़ी होती है। पूनियां के अनुसार यह संगठन सोशल मीडिया पर ही अधिक है और इसकी स्थापना में शामिल लोग पार्टी के कोई 'जाने माने' नेता नहीं हैं। उन्होंने कहा कि यह मामला पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व के संज्ञान में है। गौरतलब है कि राजे 2003 से 2008 और 2013 से 2018 तक प्रदेश की मुख्यमंत्री रहीं। 

भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने शुक्रवार को राजस्थान भाजपा के नेताओं को दिल्ली तलब किया है। तो वहीं सबसे अहम बात यह है कि एक समय प्रदेश की सीएम रही पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे को इस बैठक से दूर रखा गया।  यह हर किसी को अचम्भे में डाल देने वाला फैसला है। 

आपको बता दें कि, पिछले दिनों ही वसुंधरा राजे के विरोधी नेता घनश्याम तिवारी की भाजपा में वापसी हुई थी। वसुंधरा राजे के विरोध की वजह से घनश्याम तिवारी की वापसी नहीं हो पा रही थी। मगर अब माना जा रहा है कि राजस्थान की राजनीति में वसुंधरा विरोधी खेमा मजबूत हो रहा है और घनश्याम तिवारी की वापसी इसी ओर इशारा कर रही है।

 

 

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