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जयपुर: जम्मू-कश्मीर में पाबंदियों के विरोध में प्रशासनिक सेवा से इस्तीफा देने वाले आईएएस अधिकारी कन्नन गोपीनाथन ने नागरिकता संशोधन कानून (सीएए), राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) और राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर (एनआरसी) का विरोध करते हुए बुधवार (29 जनवरी) को कहा कि इन्हें लागू किए जाने से अंतत: देश में नफरत फैलेगी और भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिलेगा। गोपीनाथन ने यहां संवाददाताओं से कहा, 'सीएए, एनपीआर व एनआरसी नफरत की कार्रवाई है, भ्रष्टाचार की कार्रवाई है। इनके लिए काम जितना आगे जारी रहेगा उतनी ही अधिक नफरत पैदा होगी।'

नागरिकता संशोधन कानून की आलोचना करते हुए कन्नन ने कहा, 'सीएए संवैधानिक और धर्मनिरपेक्ष मूल्यों के खिलाफ है और इसलिए लोग इसका विरोध कर रहे हैं।' उन्होंने एनपीआर व एनआरसी के प्रस्तावित कार्यान्वयन की भी आलोचना की। उन्होंने कहा, 'एनपीआर और एनआरसी दस्तावेज आधारित कार्रवाई है जो गरीब, आदिवासी और महिलाओं के खिलाफ है और इससे अंतत: भ्रष्टाचार को ही बढ़ावा मिलेगा।'

उन्होंने कहा कि लोग सीएए, एनपीआर और एनआरसी के संयोजन को समझते हैं और इसे लागू करने के फैसलों का कालक्रम भी उनकी समझ में आ गया है। कन्नन ने कहा कि 'कुछ लोगों को' भले ही सीएए से मदद मिले, लेकिन बाकी लोग अगर एनपीआर और एनआरसी के कार्यान्वयन के दौरान जरूरी दस्तावेज उपलब्ध नहीं करवा पाए तो उन्हें 'घुसपैठिया' करार दिया जा सकता है।

उल्लेखनीय है कि आईएएस अधिकारी गोपीनाथ ने केंद्र सरकार द्वारा जम्मू कश्मीर में धारा 370 हटाए जाने के के बाद जम्मू-कश्मीर के लोगों को अभिव्यक्ति की आजादी न दिए जाने के मुद्दे पर अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने कश्मीरी लोगों से चर्चा या बात किए बिना ही धारा 370 को रद्द कर दिया। वहां के लोगों को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता से वंचित कर दिया गया और बाकी देश के लोग उनके साथ खड़े नहीं हो रहे थे।'

उन्होंने कहा, ''इस मुद्दे पर एक भयानक चुप्पी थी और इसलिए मैंने प्रशासनिक सेवा से इस्तीफा का फैसला किया। हमें कश्मीरी लोगों के साथ खड़ा होना चाहिए था।" उन्होंने कहा कि सरकार 1950 के एजेंडे का कार्यान्वयन कर केवल और केवल देश को पीछे धकेल रही है। कन्नन ने बाद में यहां सीएए, एनपीआर व एनआरसी के खिलाफ पीयूसीएल द्वारा आयोजित कार्यक्रम में भाग लिया।

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