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नई दिल्ली (जनादेश ब्यूरो): नई दिल्ली: सुशांत सिंह राजपूत केस में सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार को झटका देते हुए मामले की जांच केंद्रीय जांच एजेंसी सीबीआई को दे दी है। महाराष्ट्र सरकार लगातार इस मामले में सीबीआई जांच का विरोध कर रही थी और उसका कहना था कि मामला मुंबई पुलिस के पास ही रहने दिया जाए। बता दें कि सुशांत सिंह राजपूत की मौत के सिलसिले में पटना में दर्ज केस मुंबई ट्रांसफर करने के लिए एक्ट्रेस रिया चक्रवर्ती की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को फैसला सुनाया है। फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने साफ कर दिया कि मामले की जांच सीबीआई करेगी। कोर्ट ने पटना में दर्ज एफआईआर को सही ठहराया है। दो राज्यों के बीच उलझे इस मामले पर जस्टिस हृषिकेश रॉय की बेंच ने फैसला सुनाया। जस्टिस रॉय ने 11 अगस्त को याचिका पर सुनवाई पूरी की थी।

बताते चलें कि सुशांत सिंह राजपूत 14 जून को मुंबई के उपनगर बांद्रा में अपने अपार्टमेंट में फंदे से लटके पाए गए थे। मुंबई पुलिस विभिन्न पहलुओं को ध्यान में रखते हुए इस मामले की जांच कर रही है। हालांकि, बिहार पुलिस जांच में कोताही का आरोप लगा रही है और परिवार ने भी सीबीआई जांच की अपील की है, जिस पर केंद्र की मुहर भी लग चुकी है।

बिहार सरकार ने इस मामले में शीर्ष अदालत से कहा था कि 'राजनीतिक प्रभाव' की वजह से मुंबई पुलिस ने एक्टर सुशांत सिंह राजपूत के मामले में प्राथमिकी तक दर्ज नहीं की है। दूसरी ओर, महाराष्ट्र सरकार की दलील थी कि इस मामले में बिहार सरकार को किसी प्रकार का अधिकार नहीं है। रिया चक्रवर्ती के वकील का कहना था कि मुंबई पुलिस की जांच इस मामले में काफी आगे बढ़ चुकी है और उसने 56 व्यक्तियों के बयान दर्ज किए हैं।

इसके विपरीत, सुशांत सिंह राजपूत के पिता केके सिंह की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता विकास सिंह का कहना था कि उनका महाराष्ट्र पुलिस में भरोसा नहीं है। उनका कहना था कि इस मामले की जांच सीबीआई को सौंपने की पुष्टि की जाए और मुंबई में महाराष्ट्र पुलिस को इस मामले में सीबीआई को हर तरह से सहयोग करने का निर्देश दिया जाए।

बिहार सरकार का दावा था कि अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की मृत्यु को लेकर पटना में दर्ज कराई गई प्राथमिकी विधि सम्मत और वैध है। राज्य सरकार ने यह भी दावा किया था कि मुंबई पुलिस ने उसे न तो सुशांत सिंह राजपूत की पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट की प्रति उपलब्ध कराई और न ही उसने अभी तक इस मामले में कोई प्राथमिकी ही दर्ज की है।

इस मामले में केंद्र की ओर से सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा था कि मुंबई में तो कोई प्राथमिकी दर्ज नहीं की गई है और दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 154 के तहत प्राथमिकी दर्ज करने और मजिस्ट्रेट को इसकी जानकारी दिये बगैर कोई जांच ही नहीं की जा सकती। सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की सुनवाई के दौरान ही केंद्र ने कहा था कि इस मामले को सीबीआई को सौंपने की बिहार सरकार की सिफारिश स्वीकार कर ली गई है और इस संबंध में आवश्यक अधिसूचना भी जारी हो गई है।

बिहार सरकार में मंत्री संजय झा ने कहा कि मुंबई पुलिस एक तरह से केस बंद करना चाहती थी। सुशांत सिंह राजपूत के परिवार की ओर से एफआईआर करने के बाद ही गंभीरता से जांच शुरू हुई है। हमें उम्मीद है कि परिवार को न्याय मिलेगा।

 

 

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