रियो डि जिनेरियो: रियो ओलिंपिक में भारत के लिए शनिवार निराशा भरा दिन रहा। देश को सबसे बड़ा झटका सातवीं बार ओलिंपिक में भाग लेकर टेनिस में रिकॉर्ड बनाने वाले लिएंडर पेस और उनके जोड़ीदार रोहन बोपन्ना की हार से लगा। इस जोड़ी से भारत को पदक उम्मीदें थीं। शूटिंग में जीतू राय, गुरप्रीत सिंह, अपूर्वी चंदेला और आयोनिका पॉल जहां हार गईं, वहीं तीरंदाजी में दीपिका कुमारी के तीर भी निशाने पर नहीं लगे और अब उनकी पदक की उम्मीद धूमिल हो गई है। उपलब्धि के तौर पर कहें कि भारत के 'खेवनहार' सेना के दत्तू बब्बन भोकानल और हॉकी टीम रही. दत्तू ने रोइंग स्कल्स के क्वार्टरफाइनल में पहुंचे, तो हॉकी टीम ने पहला मैच जीतकर देश की पदक की उम्मीदों को जिंदा रखा है। भारतीय सेना के दत्तू बब्बन भोकानल देश के लिए शनिवार की एकमात्र उपलब्धि रहे। उन्होंने रोइंग की पुरुष स्कल्स प्रतियोगिता में अपने क्वालिफाइंग राउंड में तीसरा स्थान हासिल कर क्वार्टरफाइनल में प्रवेश किया और वह पदक की रेस में बने हुए हैं। वह दिन की पहली हीट में 2000 मीटर रेस में सात मिनट 21.67 सेकेंड के समय से क्यूबा के एंजेल फौरनियर रोड्रिगेज (सात मिनट 6.89 सेकेंड) और मेक्सिको के जुआन कालरेस काबरेरा (सात मिनट 8.27 सेकेंड) के बाद तीसरे स्थान पर रहे। ओलिंपिक में भारतीय पुरुष हॉकी टीम ने 12 साल बाद जीत दर्ज की. उसने आयरलैंड को 3-2 से हराया, जिसमें रुपिंदर पाल सिंह के दो और वीआर रघुनाथ के एक गोल का योगदान रहा।
उम्मीद की जा रही है कि हॉकी में टीम कुछ कर दिखाएगी। 8 बार की ओलिंपिक चैंपियन भारतीय टीम ने आखिरी बार सिडनी ओलिंपिक 2004 में जीत दर्ज की थी। बीजिंग ओलिंपिक 2008 के लिए वह क्वालिफाई नहीं कर पाई थी, जबकि लंदन ओलिंपिक, 2012 में वह एक भी मैच नहीं जीत पाई थी। 10 मीटर एयर पिस्टल के फाइनल में स्थान बनाकर जीतू राय ने पदक की उम्मीदें जगाई थीं, लेकिन वह अंतिम और 8वें स्थान पर रहे. इससे पहले वह क्वालिफायर मुकाबले में भी पीछे चल रहे थे और उनके निशाने अंक नहीं बटोर पा रहे थे, लेकिन बाद में उन्होंने वापसी करते हुए छठा स्थान हासिल कर लिया था। भारत के लिए सबसे बड़ा झटका लिएंडर पेस और रोहन बोपन्ना की जोड़ी के हारने से लगा। दरअसल टेनिस डबल्स में दोनों से कोई न कोई पदक अवश्य जीतने की उम्मीद थी। उन्होंने दूसरे सेट में संघर्ष भी दिखाया, लेकिन वह नाकाफी रहा। क्योंकि पहले सेट में दोनों ने सिर्फ 32 मिनट में ही आत्मसमर्पण कर दिया था। उन्हें पोलैंड के लुकास कुबोट और मारसिन माटकोव्सकी की जोड़ी ने मात दी। विशेषज्ञ इस हार का कारण इन दोनों के बीच तालमेल की कमी को भी बता रहे हैं। गौरतलब है कि डबल्स पार्टनर के चयन को लेकर भी विवाद हुआ था। तीरंदाजी में भारत की उम्मीद दीपिका कुमारी और टीम से थी, लेकिन वह क्वालिफाइंग राउंड में सातवें नंबर पर रहीं। दीपिका 720 में से 640 अंक ही जुटा पाईं, जिससे वह 20वें स्थान पर रहीं, जबकि अनुभवी बोम्बायला देवी लेशराम 638 अंक के साथ 24वें और लक्ष्मीरानी माझी 614 अंक लेकर 43वें स्थान पर रहीं। राष्ट्रमंडल खेलों में दो स्वर्ण पदक जीतने वाली दीपिका 30 तीर चलाने के बाद एक अंक की बढ़त पर थी लेकिन छठे दौर में उनका प्रदर्शन अच्छा नहीं रहा। दीपिका ने इसके बाद अच्छा प्रदर्शन किया और 30 तीरों में से 13 पर परफेक्ट 10 का स्कोर बनाया लेकिन इससे वह 20वें नंबर पर ही आ पाईं। 10 मीटर एयर पिस्टल में जीतू के साथ ही गुरप्रीत सिंह से भी कमाल की उम्मीद थी, लेकिन वह फेल हो गए। 29 वर्षीय निशानेबाज गुरप्रीत सिंह ने म्यूनिख में आईएसएसएफ शूटिंग वर्ल्ड कप की 10 मीटर एयर पिस्टल स्पर्धा के फाइनल में चौथा स्थान हासिल करके रियो ओलंपिक के लिए शूटिंग में देश के लिए पांचवां कोटा हासिल किया था। उन्होंने 19वें राष्ट्रमंडल खेलों में शानदार प्रदर्शन करते हुए दो स्वर्ण और एक रजत पदक जीता था। इन खेलों में गुरप्रीत ने 25 मी. रैपिड फायर में विजय कुमार के साथ पेयर्स गोल्ड और 10 मीटर एयर पिस्टल पेयर्स में ओमकार सिंह के साथ स्वर्ण पदक जीता था। इन सब उपलब्धियों के कारण ही उनसे देश ने उम्मीदें पाल रखीं थीं।