रियो डि जेनेरो: रियो ओलिंपिक से पहले ही दमदार प्रदर्शन से उत्साहित भारतीय पुरुष हॉकी टीम ने अपने पहले मुकाबले में आयरलैंड को 3-2 से हरा दिया. रुपिंदर पाल सिंह ने दो और वीआर रघुनाथ ने एक गोल किया, वहीं दूसरे मैच में भारत के ही ग्रुप की टीम अर्जेंटीना ने खिताब के प्रबल दावेदार माने जा रहे नीदरलैंड्स को 3-3 की बराबरी पर रोक दिया. भारत को अब अपने दूसरे पूल मैच में जर्मनी से भिड़ना है. यह मैच 8 अगस्त को होगा. चौथे और अंतिम क्वार्टर में भारतीय टीम ने दोनों ओर से आक्रामण शुरू किया. जाहिर है वह अपनी बढ़त को और लंबी करना चाह रही थी, लेकिन आयरलैंड के डिफेंडर सजग रहे और भारत के हर आक्रमण को विफल कर दिया, लेकिन भारत ने प्रयास जारी रखा और उसे इसका फल भी मिला, जब उसने 7वां पेनल्टी कॉर्नर प्राप्त कर लिया. एक बार फिर रुपिंदर पाल सिंह ने मैच के चौथे क्वार्टर के अंतिम 12वें मिनट (मैच के 48वें मिनट) में आयरलैंड के गोलकीपर के दाईं ओर करारा शॉट लगाया और गेंद सीधे गोलपोस्ट में समा गई. रुपिंदर का यह मैच में दूसरा गोल रहा और उन्होंने भारत का स्कोर 3-1 कर दिया. आयरलैंड को मौके तो कई मिले, लेकिन वे भुना नहीं पाए. अंतिम 5 मिनट में आयरलैंड को आठवां पेनल्टी कॉर्नर मिला और उसने गोल करके स्कोर 3-2 कर दिया. भारत ने इस पर वीडियो रेफरल लिया औप वीडियो अंपायर ने गोल को वैध करार दिया.
आयरलैंड के लिए दूसरा गोल कोनॉर हार्टे ने किया, लेकिन इसके बाद उनकी टीम कोई गोल नहीं कर सकी. तीसरे क्वार्टर में भारतीय हॉकी टीम ने अाक्रामक हॉकी खेलनी शुरू की और आयरलैंड पर दबाव बनाने की कोशिश की. पूर्व कप्तान सरदार सिंह ने तेज खेल का प्रदर्शन किया. इस क्वार्टर के चौथे मिनट में भारत को लॉन्ग कॉर्नर भी मिला, लेकिन टीम इसमें सफल नहीं हुई. दो गोल से पिछड़ रही आयरलैंड टीम ने भी अपने खेल को धार देने का प्रयास किया और भारतीय दल पर हमले करने शुरू किए. इस क्वार्टर के 6वें मिनट में आयरलैंड को पेनल्टी कॉर्नर मिला, जो बेकार गया. अंतिम 2 मिनटों में भारत के उथप्पा को ग्रीन कार्ड दिखा दिया गया और टीम को 10 खिलाड़ियों के सहारे ही खेलना पड़ा. तभी आयरलैंड टीम ने अंतिम मिनट में एक और पेनल्टी कॉर्नर हासिल कर लिया और जर्माइन जॉन ने उसे गोल में तब्दील कर दिया. श्रीजेश उनके शॉट पर चकमा खा गए. दूसरे क्वार्टर की शुरुआत से ही आयरलैंड ने थोड़ा आक्रामक रुख अपनाया और भारत पर दवाब बनाने की कोशिश की. वह इसमें सफल भी रहा और लगभग मैच के 23वें मिनट में उसे पहला पेनल्टी कॉर्नर मिल गया, लेकिन भारतीय कप्तान श्रीजेश ने इसे बेकार कर दिया. इसके बाद आयरलैंड ने हमले जारी रखे और भारतीय गोलपोस्ट के आसपास तक भी पहुंच बनाई, लेकिन भारतीय डिफेंडरों ने उन्हें कामयाब नहीं होने दिया. आयरलैंड को दूसरा पेनल्टी कॉर्नर भी मिला, लेकिन वह फिर नाकमयाब रहे. उनके डिफेंडर कोनॉर हार्टे की हिट गोलपोस्ट से काफी दूर से निकल गई. भारत को दूसरे क्वार्टर के आखिरी तीन मिनट (मैच के 27वें मिनट) में पांचवां पेनल्टी कॉर्नर मिला और रुपिंदर पाल सिंह ने इसे गोल में तब्दील कर दिया. उनका यह गोल देखने लायक था, क्योंकि उन्होंने बड़ी ही समझदारी से गेंद को दाईं ओर के कोने से ऊपर से गोलपोस्ट में पहुंचा दिया. अंतिम मिनट में आयरलैंड ने फिर आक्रमण किया और पेनल्टी कॉर्नर हासिल कर लिया, लेकिन सफल नहीं हुए. इस प्रकार दूसरे क्वार्टर में भारत 2-0 से आगे रहा. भारत ने एक के बाद एक कई आक्रमण किए, लेकिन गोल करने में सफल नहीं हो पा रही थी. पहले क्वार्टर में 11वें मिनट के बाद उसे पहला पेनाल्टी कॉर्नर मिला, लेकिन वह गोल नहीं कर सका. इस प्रकार बढ़त लेने का सुनहरा मौका हाथ से निकल गया. इसके तुरंत बाद ही दूसरा और तीसरा पेनल्टी कॉर्नर भी मिल गया, लेकिन एक बार फिर मौके हाथ से जाते रहे. तीसरे पेनल्टी के दौरान आयरलैंड के खिलाड़ी ने फाउल कर दिया और अंपायर ने वीडियो अंपायर की मदद से 15वें मिनट में भारत को फिर से पेनल्टी कॉर्नर दे दिया और इस बार रघुनाथ ने कोई गलती नहीं की और आयरलैंड के डिफेंडर और गोलकीपर को मात देते हुए कीपर के दाईं ओर से गोल दाग दिया. उनका यह शॉट गोली की रफ्तार से गया. टीम इंडिया 36 साल पुराना पदक का इंतजार खत्म करने के इरादे से मैदान पर है. आठ बार की ओलिंपिक चैंपियन भारतीय टीम ने आखिरी बार ओलंपिक स्वर्ण 1980 में मॉस्को में जीता था. इसके बाद से टीम पदक के करीब भी नहीं पहुंची और बीजिंग ओलंपिक 2008 में तो जगह भी नहीं बना सकी. चार साल पहले भारत ने क्वालीफाई किया था, लेकिन आखिरी स्थान पर रहा. इस बार चैम्पियंस ट्रॉफी में ऐतिहासिक रजत पदक जीतने वाली पीआर श्रीजेश की अगुवाई वाली भारतीय टीम पिछले खराब प्रदर्शन का कलंक मिटाने के इरादे से आई है. वहीं भारतीय महिला टीम ने 36 साल बाद खेलों के इस महासमर के लिये क्वालीफाई किया है. मॉस्को में 1980 में आखिरी बार भारतीय महिला हॉकी टीम ओलंपिक में नजर आई थी. भारतीय पुरुष टीम को गत चैंपियन जर्मनी, उपविजेता नीदरलैंड और पेन अमेरिका की दो शीर्ष टीमों अर्जेंटीना और कनाडा के साथ रखा गया है. ऐसे में उसे हर मैच में संभलकर खेलना होगा क्योंकि जरा सी चूक क्वार्टर फाइनल का समीकरण बिगाड़ सकती है.