नई दिल्ली: भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने बुधवार को भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड में प्रस्तावित परिवर्तनों को स्वीकार कर लिया, जो वर्तमान अध्यक्ष सौरव गांगुली और सचिव जय शाह को उनके कार्यकाल के विस्तार की अनुमति देगा। गांगुली और शाह दोनों का पहला कार्यकाल इस महीने की शुरुआत में बीसीसीआई के संविधान में 'कूलिंग ऑफ पीरियड' क्लॉज के कारण खत्म हो गया था। जिसका मतलब है कि सौरव गांगुली तीन साल तक बीसीसीआई के अध्यक्ष बने रहेंगे और जय शाह को भी अगले तीन साल तक बीसीसीआई सचिव बनना तय माना जा रहा है।
बीसीसीआई ने अपने प्रस्तावित संशोधन में, अपने पदाधिकारियों के लिए कूलिंग-ऑफ अवधि को समाप्त करने की मांग की थी, जिससे सौरव गांगुली और जय शाह संबंधित राज्य क्रिकेट संघों में छह साल पूरे करने के बावजूद अध्यक्ष और सचिव के रूप में पद पर बने रहेंगे। शीर्ष अदालत ने बुधवार (14 सितंबर) को अपने फैसले में कहा कि वह बीसीसीआई में एक पदाधिकारी को लगातार दो कार्यकाल के लिए पद धारण करने की अनुमति देगा, भले ही वे एक कार्यकाल के लिए राज्य संघ में पद पर हों।
उच्चतम न्यायालय ने कहा कि पदाधिकारियों का कार्यकाल लगातार 12 साल का हो सकता है। इसमें राज्य संघ में छह साल और बीसीसीआई में छह साल शामिल हैं।
इससे पहले न्यायमूर्ति आरएम लोढ़ा की अगुवाई वाली समिति ने बीसीसीआई में सुधार की सिफारिश की थी, जिसे शीर्ष अदालत ने स्वीकार कर लिया है।
बीसीसीआई के संविधान के अनुसार, एक पदाधिकारी को राज्य संघ या बीसीसीआई या दोनों संयुक्त रूप से लगातार दो कार्यकालों के बीच तीन साल की कूलिंग ऑफ अवधि से गुजरना पड़ता है। बीसीसीआई की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति हिमा कोहली की पीठ से कहा कि देश में क्रिकेट का खेल काफी व्यवस्थित है। उन्होंने कहा कि बीसीसीआई एक स्वायत्त संस्था है और सभी बदलावों पर क्रिकेट संस्था की वार्षिक आम बैठक (एजीएम) में विचार किया गया।