नई दिल्ली: भारत के पूर्व गोलकीपर और पश्चिम बंगाल से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नेता कल्याण चौबे शुक्रवार को अखिल भारतीय फुटबॉल महासंघ (एआईएफएफ) के चुनाव में दिग्गज फुटबॉल खिलाडी बाईचुंग भूटिया को हराकर एआईएफएफ अध्यक्ष बन गए। एआईएफएफ के चुनावों के लिये मतदान आज नई दिल्ली में हुआ, जहां चौबे ने भूटिया को 33-1 के बड़े अंतर से मात दी। एआईएफएफ के 85 साल के इतिहास में चौबे पहले ऐसे व्यक्ति हैं, जो खिलाड़ी के बाद अध्यक्ष बने हैं। एनए हारिस को उपाध्यक्ष चुना गया है। हारिस कर्नाटक फुटबॉल संघ के अध्यक्ष और राज्य में कांग्रेस के विधायक हैं। भारत के 36 राज्य फुटबॉल संघों में से सिर्फ 34 ने ही चुनावों में हिस्सा लिया, जबकि लद्दाख और जम्मू-कश्मीर को मतदान की अनुमति नहीं दी गई।
सिक्किम के रहने वाले 45 वर्षीय भूटिया का नामांकन पत्र भरते समय उनके राज्य संघ का प्रतिनिधि भी प्रस्तावक या अनुमोदक नहीं बना था। पिछले लोकसभा चुनाव में पश्चिम बंगाल के कृष्णनगर सीट से हारने वाले भाजपा के राजनीतिज्ञ चौबे कभी भारतीय सीनियर टीम से नहीं खेले, हालांकि वह कुछ अवसरों पर टीम का हिस्सा रहे थे।
उन्होंने हालांकि आयु वर्ग के टूर्नामेंट में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत का प्रतिनिधित्व किया था। वह मोहन बागान और ईस्ट बंगाल के लिए गोलकीपर के रूप में खेले हैं। भूटिया और चौबे एक समय ईस्ट बंगाल में साथी खिलाड़ी थे। कर्नाटक फुटबॉल संघ के अध्यक्ष और कांग्रेस के विधायक एनए हारिस ने उपाध्यक्ष के एकमात्र पद पर जीत दर्ज की। उन्होंने राजस्थान फुटबॉल संघ के मानवेंद्र सिंह को हराया।
एनए हारिस उपाध्यक्ष और कोसाराजू कोषाध्यक्ष बने
कर्नाटक फुटबॉल संघ के अध्यक्ष और कांग्रेस के विधायक एनए हारिस ने उपाध्यक्ष के एकमात्र पद पर जीत दर्ज की। उन्होंने राजस्थान फुटबॉल संघ के मानवेंद्र सिंह को 29-5 से हराया। अरुणाचल प्रदेश के किपा अजय ने आंध्र प्रदेश के गोपालकृष्णा कोसाराजू को 32-1 से हराकर कोषाध्यक्ष पद हासिल किया।
अरुणाचल प्रदेश के किपा अजय ने आंध्र प्रदेश के गोपालकृष्णा कोसाराजू को हराकर कोषाध्यक्ष पद हासिल किया। कोसाराजू ने अध्यक्ष पद के लिए भूटिया के नाम का प्रस्ताव रखा था, जबकि मानवेंद्र ने उसका समर्थन किया था। कार्यकारिणी के 14 सदस्यों के लिए इतने ही उम्मीदवारों ने नामांकन भरा था और उन्हें निर्विरोध चुना गया।
एआईएफएफ के चुनाव के साथ ही भारतीय फुटबॉल में पिछले कुछ महीनों में चले नाटकीय घटनाक्रम का भी अंत हो गया। इस दौरान भारतीय फुटबॉल ने दिसंबर 2020 में चुनाव न कराने के कारण पूर्व अध्यक्ष प्रफुल्ल पटेल को बर्खास्त होते हुए देखा। इसके बाद प्रशासकों की समिति गठित की गई जिसे बाद में उच्चतम न्यायालय ने बर्खास्त कर दिया था। विश्व फुटबॉल की सर्वोच्च संस्था फीफा ने 'तीसरे पक्ष के अनुचित प्रभाव' का हवाला देकर इस बीच भारत को निलंबित भी कर दिया था।
नई कार्यकारी समिति में जीपी पालगुना, अविजीत पॉल, पी अनिलकुमार, वलंका नताशा अलेमाओ, मालोजी राजे छत्रपति, मेनला एथेनपा, मोहन लाल, आरिफ अली, के नीबौ सेखोज, लालनघिंग्लोवा हमर, दीपक शर्मा, विजय बाली और सैयद इम्तियाज हुसैन शामिल हैं। भूटिया, आई एम विजयन, शब्बीर अली और क्लाइमेक्स लॉरेंस खिलाड़ियों के प्रतिनिधि के रूप में कार्यकारिणी में शामिल होंगे।
भूटिया ने चुनाव के बाद अपनी पहली प्रतिक्रिया में कहा,'' मैं भारतीय फुटबॉल की बेहतरी के लिए भविष्य में भी काम करता रहूंगा। कल्याण को बधाई। मुझे उम्मीद है कि वह भारतीय फुटबॉल को आगे लेकर जाएंगे।'' उन्होंने कहा,'' भारतीय फुटबाल प्रशंसकों का आभार जिन्होंने मेरा समर्थन किया। मैं चुनाव से पहले भी भारतीय फुटबॉल के लिए काम कर रहा था और आगे भी इसे जारी रखूंगा। हां मैं कार्यकारी समिति का सदस्य हूं।''