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नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नीति आयोग से अगले 15 साल के दौरान देश के विकास के लिये बड़े बदलाव लाने वाला दूरदृष्टि दस्तावेज तैयार करने को कहा है। मोदी ने नीति आयोग की बैठक की अध्यक्षता करते हुए कहा कि धीरे-धीरे बदलावों का दौर अब समाप्त हो चुका है। अब 21वीं सदी में देश की वृद्धि के लिए रूपरेखा बनाने की जरूरत है। नीति आयोग के सदस्यों के साथ परिचर्चा में प्रधानमंत्री ने कहा कि समय की जरूरत बड़े बदलाव लाने की है। उन्होंने पिछले तीन दशक में बदलाव में प्रौद्योगिकी के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा कि बदलाव की यह रफ्तार सुस्त नहीं पड़नी चाहिए। मोदी ने कहा, ‘सरकार में लोगों का जीवन सुधारने के लिए कायापलट वाले बदलाव लाने की क्षमता है।’ उन्होंने कहा कि नीति निर्माता ऐतिहासिक रूप से अपनी ताकत पर ध्यान देने के बजाय अड़चनों की आलोचना अधिक करते रहे। उन्होंने कहा कि देश के प्राकृतिक और श्रम संसाधनों का इस्तेमाल उचित और कुशल तरीके से किया जाना चाहिए। इसके लिए उन्होंने देश की खनिज संपदा, व्यापक सौर क्षमता जिसका दोहन नहीं हो पाया है, तटरेखा का क्षमता से कम इस्तेमाल जैसे उदाहरण दिये। मोदी ने कहा कि विकास और निर्यात को प्रोत्साहन के लिए राज्यों के साथ भागीदारी न केवल सहयोग वाले संघवाद का तत्व है, बल्कि आज यह समय की जरूरत भी है। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि कृषि के मामले में सिर्फ उत्पादकता बढ़ाने पर ही नहीं, बल्कि गतिशील ग्रामीण अर्थव्यवस्था के कुल विकास पर ध्यान कंेद्रित किया जाना चाहिए। उन्होंने खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र, भंडारगृह विकास और प्रौद्योगिकी के महत्व को भी रेखांकित किया।

उन्होंने कामकाज के बेहतर संचालन के लिए क्षमता निर्माण की जरूरत पर बल देते हुए तत्काल आधार पर आंकड़ांे की उपलब्धता के महत्व का भी उल्लेख किया। नीति आयोग के उपाध्यक्ष अरविंद पनगढ़िया ने मोदी के साथ दृष्टिकोण दस्तावेज पर बैठक के बाद संवाददाताओं से कहा, ‘प्रधानमंत्री ने कहा है कि मैं वह व्यक्ति हूं जो प्रयोग करता है, और मुझे पूरा भरोसा है।’ नीति आयोग के मुख्य कार्यकारी अधिकारी अमिताभ कान्त ने कहा कि प्रधानमंत्री ने धीरे होने वाले बदलावों के बजाय कायापलट वाले बदलावों पर जोर दिया है। यह पूछे जाने पर कि क्या दृष्टिकोण दस्तावेज को नीति आयोग की संचालन परिषद मंजूर करेगी, पनगढ़िया ने कहा कि इस बारे में अभी कोई फैसला नहीं किया गया है। परिषद के प्रमुख प्रधानमंत्री हैं और सभी मुख्यमंत्री इसके सदस्य हैं। पूर्व में यह व्यवस्था थी कि पंचवर्षीय योजना को प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाली राष्ट्रीय विकास परिषद मंजूरी देती थी।

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