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नई दिल्ली: सरकार ने प्याज पर तत्काल प्रभाव से 40 फीसदी निर्यात शुल्क लगा दिया है। यह शुल्क अभी तुरंत से लागू हो गया है और 31 दिसंबर 2023 तक लागू रहेगी। सरकार ने इसको लेकर एक नोटिफिकेशन जारी की है।

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने बुलेटिन में कहा है कि अगस्त में टमाटर की कीमतों में और तेजी देखने को मिल सकती है। हालांकि हालिया आंकड़ों में टमाटार की कीमतों में कुछ गिरावट देखने को मिली है। कई रिपोर्ट में यह माना गया है कि सितंबर के महीने में प्याज की कीमतों में भी उछाल देखने को मिल सकता है। प्याज की कीमत 50 रुपये से 60 रुपये तक होने की संभावना है।

कई व्यापारियों का कहना है कि खराब गुणवत्ता वाले प्याज की बड़ी हिस्सेदारी के अलावा, अन्य सब्जियों में उच्च मुद्रास्फीति भी प्याज की कीमतों को ऊपर उठाने के लिए जिम्मेदार है।

पिछले हफ्ते, सरकार ने अक्टूबर में प्याज की तत्काल रिहाई का एलान किया है। सरकार बफर स्टॉक से प्याज की तत्काल रिहाई करेगा। यह फैसला नई फसलों के आने तक कीमतों को कंट्रोल करने के लिए लिया गया है।

आरबीआई की रिपोर्ट

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने अपनी रिपोर्ट में खाद्य पदार्थों के मूल्य में वृद्धि को लेकर केंद्र सरकार को आगाह किया है और कहा है कि इससे महंगाई में छह प्रतिशत तक की वृद्धि हो सकती है। जरूरत के अनुरूप टमाटर की उपलब्धता में कमी के चलते पहले से ही महंगाई बढ़ रही है। ऐसे में अगर प्याज के दाम में वृद्धि हो जाती तो इसका सीधा असर मध्यम वर्ग पर पड़ सकता था। हालांकि टमाटर की कीमतों पर हाल के दिनों में किसी तरह नियंत्रण करने में सफलता मिलती दिख रही है। इसलिए एहतियात के तौर पर सरकार प्याज की उपलब्धता को भी बनाए रखने के प्रयास में है।

प्याज बेचने के लिए शुरू होंगे कई ई-कॉमर्स चैनल

सरकार प्याज के वितरण के लिए कई चैनलों की खोज कर रही है। इन चैनलों में प्याज की बिक्री होगी। प्याज पर छूट के लिए सरकार ई-नीलामी, ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म पर डिस्काउंट और उपभोक्ता सहकारी समितियों के साथ खुदरा दुकानों पर छूट की पेशकश करेगी। सरकार इसके लिए राज्य अधिकारियों के साथ साझेदारी भी करेगी।

खुदरा मुद्रास्फीति में बढ़त

सब्जियों और अनाज की कीमतों में तेज उछाल की वजह से में खुदरा मुद्रास्फीति के दर में बढ़त देखने को मिली है। पिछले महीने खुदरा मुद्रास्फीति 7.44 फीसदी हो गया है। यह 15 महीने के उच्चतम स्तर पर पहुंच गया है। आरबीआई के मुद्रास्फीति बैंड ने पांच महीनों में पहली बार 2 प्रतिशत से 6 प्रतिशत को पार कर लिया है।

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