नई दिल्ली: मार्केट रेगुलेटर सेबी ने सोमवार को जारी एक अंतरिम आदेश में एस्सेल ग्रुप के चेयरमैन सुभाष चंद्रा और जी एंटरटेनमेंट एंटरप्राइजेज (ज़ीएल) के सीईओ पुनीत गोयनका पर किसी लिस्टेड कंपनी या उसकी सब्सिडियरी में डायरेक्टर या प्रमुख प्रबंधकीय पद पर रहने पर रोक लगा दी है। दोनों पर आरोप है कि उन्होंने लिस्टेड कंपनी जी एंटरटेनमेंट एंटरप्राइजेज (ज़ीएल) और एस्सेल ग्रुप की दूसरी लिस्टेड कंपनियों से अपने फायदे के लिए फंड्स की हेराफेरी की है।
मार्केट रेगुलेटर ने अपने आदेश में ये भी कहा कि जी एंटरटेनमेंट को ये ऑर्डर 7 दिनों के अंदर अपने बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स के सामने रखना चाहिए। इसके साथ ही सेबी ने ये भी जोड़ा है कि अगर सुभाष चंद्रा और पुनीत गोयनका को इस आदेश पर अपना जवाब या आपत्ति दर्ज करानी है, तो वो 21 दिनों के अंदर ये दाखिल कर सकते हैं। 16 पन्ने के अपने आदेश में सेबी ने बताया कि 2019 में जी एंटरटेनमेंट के 2 स्वतंत्र डायरेक्टर्स ने ये आरोप लगाते हुए बोर्ड से इस्तीफा दे दिया था कि जी एंटरटेनमेंट के एक फिक्स्ड डिपॉजिट का इस्तेमाल गलत तरीके से एस्सेल ग्रुप की दूसरी कंपनियों के लोन को चुकाने में किया गया।
सेबी ने इस मामले की जांच की और आज ये आदेश जारी किया।
क्या है फंड की हेराफेरी का मामला?
सेबी की जांच में ये सामने आया है कि सुभाष चंद्रा जो एस्सेल ग्रुप के चेयरमैन हैं, उन्होंने 4 सितंबर 2018 को यस बैंक को एक लेटर ऑफ कंफर्ट (एलओसी) जारी किया। ये एलओसी, एस्सेल ग्रुप की अन्य कंपनियों की तरफ से यस बैंक से लिए गए लोन की गारंटी के तौर पर जारी किया गया था।
इस लेटर में कहा गया था कि एस्सेल ग्रीन मोबिलिटी पर जो 200 करोड़ रुपये का लोन है। उसके बदले ग्रुप की किसी कंपनी की तरफ से यस बैंक में 200 करोड़ रुपये का फिक्स्ड डिपॉजिट रखा जाएगा। ये भी साफ किया गया था कि डिफॉल्ट की स्थिति में यस बैंक इस एफडी को लोन के बदले एडजस्ट कर सकता है।
एलओसी की वजह से यस बैंक ने एस्सेल ग्रुप की 7 कंपनियों को दिए लोन के बदले में जी एंटरटेनमेंट की 200 करोड़ रुपये की एफडी को एडजस्ट कर लिया। हालांकि ज़ीएल ने सेबी को ये जानकारी दी थी कि ग्रुप कंपनियों ने जी एंटरटेनमेंट को ये पैसे लौटा दिए हैं। लेकिन सेबी की जांच में ये पता चला कि ये फंड्स जी एंटरटेनमेंट समेत ग्रुप की अन्य लिस्टेड कंपनियों से ही एक लंबा रूट लेकर वापस जी एंटरटेनमेंट (ज़ीएल) के खाते में आए थे।
सेबी ने आदेश में लिखा है कि फंड्स की हेराफेरी, बेहद सुनियोजित तरीके से की जा रही थी। कुछ मामलों में तो ये भी देखा गया कि ट्रांजैक्शंस को घुमाने के लिए 13 संस्थाओं का इस्तेमाल किया गया।
सेबी को जांच में पता चला कि जी एंटरटेनमेंट और अन्य लिस्टेड कंपनियों से 143.90 करोड़ रुपये को अलग-अलग कंपनियों से होते हुए वापस जी एंटरटेनमेंट के खाते में पहुंचाया गया। बाकी बचे फंड के लिए सेबी अभी भी जांच कर रहा है।