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नई दिल्ली: प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने चीनी स्मार्ट फोन कंपनी शाओमी इंडिया प्राइवेट लिमिटेड पर अपना शिकंजा कस लिया है। प्रवर्तन निदेशालय ने विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम, 1999 के प्रावधानों के तहत शाओमी टेक्नोलाजी इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के बैंक खाते में जमा 5551.27 करोड़ रुपये जब्त कर लिए हैं।

आपको बता दें कि शाओमी इंडिया चीन की शाओमी समूह की पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी है। प्रवर्तन निदेशालय ने कंपनी के बैंक खातों पर कार्रवाई करते हुए खाते में पड़े 5551.27 करोड़ रुपयों की राशि को जब्त कर लिया है। शाओमी इंडिया प्राइवेट लिमिटेड कंपनी की ईडी द्वारा जब्त की गई यह धनराशि कंपनी के बैंक खातों में पड़ी थी। प्रवर्तन निदेशालय ने इस साल फरवरी के महीने में कंपनी द्वारा किए गए अवैध रेमिटेंसेज के संबंध में जांच शुरू की थी।

ईडी ने बताया, "कंपनी ने तीन विदेशी-आधारित संस्थाओं को 5551.27 करोड़ रुपये के बराबर विदेशी मुद्रा भेजी है। जिसमें रॉयल्टी की आड़ में एक शाओमी समूह की इकाई शामिल है।" उन्होंने कहा, "रॉयल्टी के नाम पर इतनी बड़ी रकम उनके चीनी मूल समूह की संस्थाओं के निर्देश पर भेजी गई थी।"

ईडी ने बताया, "अन्य दो यूएस-आधारित असंबंधित संस्थाओं को भेजी गई राशि भी शाओमी समूह की संस्थाओं के लाभ के लिए थी।" शाओमी इंडिया ब्रांड नाम एमआई के तहत भारत में मोबाइल फोन का एक व्यापारी और वितरक है। शाओमी इंडिया भारत में निर्माताओं से पूरी तरह से निर्मित मोबाइल सेट और अन्य उत्पाद खरीदता है।

फेमा की धारा 4 का उल्लंघन

फेड्रल एजेंसी ने आगे बताया, "यहां पर सबसे ज्यादा दिलचस्प बात ये है कि शाओमी इंडिया ने उन तीन विदेशी-आधारित संस्थाओं में किसी से भी किसी तरह की सेवा का लाभ नहीं उठाया है, जिन्हें इस तरह की राशि हस्तांतरित की गई है। समूह संस्थाओं के बीच बनाए गए विभिन्न असंबंधित दस्तावेजी पहलुओं की आड़ में, कंपनी ने इस राशि को विदेशों में रॉयल्टी की आड़ में भेजा, जो कि फेमा की धारा 4 का उल्लंघन।" ईडी ने आगे बताया कि शाओमी इंडिया ने विदेशों में पैसा भेजते समय बैंकों को भ्रामक जानकारी भी दी थी।

साल 2014 में शुरू हुआ था भारत में शाओमी का कारोबार

आपको बता दें कि इसके पहले साल 2014 में चीनी मोबाइल कंपनी शाओमी इंडिया ने साल 2014 में भारत में अपना कारोबार शुरू किया और साल 2015 से भारत में पैसा भेजना शुरू कर दिया था। कंपनी ने तीन विदेशी आधारित संस्थाओं को रॉयल्टी की आड़ में 5551.27 करोड़ रुपये के बराबर विदेशी मुद्रा भेजी की है। यहां हैरत करने वाली बात ये है कि शाओमी ने इन तीनों कंपनियों से किसी भी तरह की सेवा का लाभ नहीं लिया था। इन तीन कंपनियों में शाओमी समूह की भी एक संस्था शामिल है। रॉयल्टी के नाम पर इतनी बड़ी रकम शाओमी ग्रुप की संस्थाओं के निर्देश पर भेजी गई थी। इसमें अन्य दो यूएस आधारित असंबंधित संस्थाओं को भेजी की गई राशि भी शाओमी समूह की संस्थाओं के अंतिम लाभ के लिए थी।

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