नई दिल्ली: अगले चीनी सत्र 2021-22 में एथनॉल उत्पादन के लिए ज्यादा गन्ने का इस्तेमाल होने की संभावना है। इसकी वजह से चीनी सत्र 2021-22 में चीनी के उत्पादन में मामूली गिरावट आ सकती है और यह 3.05 करोड़ टन रह सकता है। खाद्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव सुबोध कुमार सिंह ने कहा कि चालू चीनी सत्र यानी 2020-21 (अक्तूबर- सितंबर) में चीनी का उत्पादन 3.10 करोड़ टन तक जा सकता है। मालूम हो कि ब्राजील के बाद भारत में दुनिया में सबसे चीनी का उत्पादन होता है।
इस साल गन्ने की फसल कुल मिलाकर अच्छी है। ऐसे में सुबोध कुमार ने कहा कि हमें एथनॉल बनाने के लिए ज्यादा गन्ना इस्तेमाल होने की उम्मीद है। मौजूदा सत्र में एथनॉल उत्पादन में जितने गन्ने की खपत होती है, उससे 20 लाख टन चीनी का उत्पादन होता है, जबकि 2021-22 सत्र में 35 लाख टन चीनी उत्पादन में काम आने वाले गन्ने को एथनॉल उत्पादन के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है।
इतनी हो सकती है चीनी की कुल उपलब्धता
चीनी उत्पादन में कमी के बावजूद घरेलू खपत के लिए जरूरी मात्रा के लिहाज से यह पर्याप्त होगा। चीनी की खपत की बात करें, तो 2021-22 सत्र में यह तीन से चार लाख टन बढ़ सकती है और 2.63 से 2.65 करोड़ टन तक पहुंच सकती है। पिछले 2020-21 के सत्र की बात करें, तो तब घरेलू खपत 2.6 करोड़ टन रहने का अनुमान जताया गया है। अगले सत्र चीनी का बचा हुआ स्टॉक यानी 90 से 95 लाख टन और अनुमानित उत्पादन 3.05 करोड़ टन से चीनी की कुल उपलब्धता 3.95 से चार करोड़ टन हो सकती है।
सुबोध कुमार सिंह के अनुसार, चालू सत्र में गन्ने का कुल 91,000 करोड़ रुपये के बकाए के मुकाबले किसानों को अब तक लगभग 83,000 करोड़ रुपये का भुगतान किया जा चुका है। बाकी के आठ हजार करोड़ के बकाए में अगले एक महीने में कमी आ सकती है।