नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को उद्योग जगत और निर्यातकों से निर्यात के नए गंतव्यों की पहचान का आह्वान करते हुए कहा कि वे कोविड-19 के बाद के परिदृश्य में पैदा हुए अवसरों का लाभ उठाएं। उन्होंने कहा कि गंतव्यों और निर्यात वस्तुओं का दायरा बढ़ाकर हम 400 अरब डॉलर के महत्वाकांक्षी निर्यात लक्ष्य को पा सकते हैं। देश के चालू वर्ष के लिए वस्तुओं के 400 अरब डॉलर के निर्यात लक्ष्य पर शुक्रवार को भारतीय मिशन तथा निर्यात संवर्द्धन परिषदों को संबोधित करते हुए मोदी ने कहा कि विनिर्माण में कई गुना वृद्धि, लॉजिस्टिक्स की लागत में कमी और घरेलू उत्पादों के लिए अंतरराष्ट्रीय बाजार सहित...चार ऐसे कारक हैं, जिनके जरिये देश का निर्यात बढ़ाया जा सकता है।
प्रधानमंत्री ने विदेशों में भारतीय मिशन से अपने संबंधित देशों में उन उत्पादों की पहचान करने को कहा, जिनका भारत निर्यात कर सकता है। उन्होंने कहा कि फिलहाल देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में निर्यात का हिस्सा 20 प्रतिशत है। ‘‘हमारी अर्थव्यवस्था के आकार, क्षमता, विनिर्माण तथा सेवा क्षेत्र के आधार के जरिये इस हिस्सेदारी को बढ़ाया जा सकता है।''
उन्होंने कहा कि कोविड बाद की दुनिया में वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला को लेकर बहस चल रही है। हमें पूरी ताकत से इन नए अवसरों का लाभ उठाना है। वाडियो कॉफ्रेंसिंग के जरिये विदेशों में भारतीय मिशन के प्रमुखों और व्यापार तथा वाणिज्य क्षेत्र से जुड़े पक्षों के साथ बातचीत में मोदी ने कहा कि भौतिक, प्रौद्योगिकी और वित्तीय संपर्क के कारण दुनिया सिमट रही है और ऐसे परिवेश में घरेलू निर्यात के विस्तार के लिये दुनियाभर में नई संभावनाएं पैदा हो रही हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि निर्यात के संदर्भ में भारत का महत्वाकांक्षी लक्ष्य समग्र और विस्तृत कार्ययोजना के जरिये ही प्राप्त किया जा सकता है। उन्होंने संबंधित पक्षों से मौजूदा निर्यात में तेजी लाने और नये उत्पादों के लिये बाजार सृजित करने तथा नये गंतव्य तलाशने के लिये काम करने को कहा।
फिलहाल करीब आधा निर्यात केवल चार प्रमुख गंतव्यों को होता है। इसी प्रकार, भारत का करीब 60 प्रतिशत निर्यात इंजीनियरिंग, रत्न एवं आभूषण, पेट्रोलियम और रसायन उत्पादों तथा औषधि क्षेत्रों से जुड़ा है। उन्होंने कहा कि खनन, कोयला, रक्षा, रेलवे, जैसे नये क्षेत्रों के खुलने के साथ उद्यमियों को निर्यात बढ़ाने के नये अवसर मिल रहे हैं। प्रधानमंत्री ने वैश्विक अर्थव्यवस्था में भारतीय की जो पहले हिस्सेदारी थी, उसे हासिल करने के लिये निर्यात को मजबूत बनाने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि संबंधित पक्षों को कोविड के बाद वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में बदलाव से सृजित नये अवसरों का लाभ उठाने के लिये हरसंभव प्रयास करने चाहिए। मोदी ने कहा, ‘‘हमारी अर्थव्यवस्था का जो आकार और क्षमता है, हमारा विनिर्माण और सेवा उद्योग का जो आधार है, उसको देखते हुए निर्यात वृद्धि की शानदार संभावनाएं हैं। जब देश आत्मनिर्भर भारत मिशन की ओर बढ़ रहा है, इसमें एक लक्ष्य निर्यात में भारत की हिस्सेदारी कई गुना बढ़ाने की भी है।'
उन्होंने कहा कि घरेलू उद्योग को बेहतर प्रौद्योगिकी की ओर बढ़ना होगा, नवप्रवर्तन पर ध्यान देना होगा तथा अनुसंधान एवं विकास में हिस्सेदारी बढ़ानी होगी। ‘‘हमें हर क्षेत्र में वैश्विक ‘चैंपियन' बनाना है।'' प्रधानमंत्री ने कहा कि निर्यात बढ़ाने के लिये जो चार चीजें महत्वपूर्ण हैं, वे विनिर्माण, परिवहन, लॉजिस्टिक की समस्याओं का समाधान, निर्यातकों के साथ कंधा-से-कंधा मिलाकर चलना तथा अंतरराष्ट्रीय बाजार के लिये भारतीय उत्पादों का दायरा बढ़ाना हैं। मोदी ने कहा, ‘‘जब इन चारों चीजों का तालमेल हो जाएगा, तो भारत दुनिया के लिए ‘मेक इन इंडिया' के लक्ष्य को बेहतर तरीके से हासिल कर सकेगा।''
प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि उत्पादन आधारित प्रोत्साहन योजना न केवल विनिर्माण के पैमाने को बढ़ाने में मदद करेगी बल्कि वैश्विक गुणवत्ता और दक्षता के स्तर को भी बढ़ाएगी। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि भारत एक समय करीब आठ अरब डॉलर मूल्य का मोबाइल फोन का आयात करता था, पर आज यह घटकर 2 अरब डॉलर रहा गया है। इसी प्रकार, सात साल पहले, देश केवल 30 करोड़ डॉलर मूल्य का मोबाइल फोन निर्यात करता था और अब यह बढ़कर 3 अरब डॉलर हो गया है। मोदी ने कहा, ‘‘भारत आज न केवल अर्थव्यवस्था में पुनरुद्धार को लेकर सकारात्मक संकेत देख रहा है बल्कि उच्च वृद्धि के भी संकेत हैं। इसीलिए निर्यात के लिये ऊंचा लक्ष्य तय करने और उसे हासिल करने का यह सही समय है।'' निर्यात लक्ष्यों को प्राप्त करने और सुधारों को लागू करने में राज्यों की भूमिका के बारे में उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार नियामकीय बोझ को कम करने के लिए राज्यों के साथ मिलकर काम कर रही है ताकि निर्यात और निवेश बढ़ाया जा सक।.
प्रधानमंत्री ने राजदूतों, विदेश मंत्रालय के अधिकारियों से यहां वाणिज्य उद्योग के लिए सेतु की तरह काम करने को कहा।
उन्होंने आग्रह किया कि विभिन्न देशों में मौजूद ‘इंडिया हाउस' को भी भारत की विनिर्माण शक्ति का प्रतिनिधि होना चाहिए। उन्होंने वाणिज्य मंत्रालय से ऐसी व्यवस्था बनाने का अनुरोध किया जिससे निर्यातकों और मिशनों के बीच निरंतर संवाद हो। प्रधानमंत्री ने कहा कि हमारे निर्यात से हमारी अर्थव्यवस्था को अधिकतम लाभ के लिए, देश के भीतर भी एक निर्बाध और उच्च गुणवत्ता वाली आपूर्ति व्यवस्था बनाने की आवश्यकता है। मोदी ने कहा कि दुनिया के कोने-कोने में भारत के उच्च मूल्यवर्धित उत्पादों की एक स्वभाविक मांग पैदा करने के प्रयास होने चाहिए। उन्होंने कहा, ‘‘मैं उद्योग जगत, सभी निर्यातकों को विश्वास दिलाता हूं कि सरकार उनका हर तरह से समर्थन करेगी।''
एक आधिकारिक बयान के अनुसार इस मौके पर विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि जहां इस आयोजन का विषय ‘लोकल गो ग्लोबल' है, वहीं भारतीय मिशनों को भी घरेलू उत्पादकों को विशिष्ट देशों में मांग के साथ जोड़ने में मदद करने के लिए वैश्विक स्तर पर स्थानीय होने की जरूरत है। वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि वैश्विक वातावरण अनुकूल है और हमें अपने निर्यात को बढ़ाने के लिए अन्य देशों के संबंध में तुलनात्मक और प्रतिस्पर्धी लाभों का फायदा उठाना चाहिए।